बांका से चुने जाने के बाद पुतुल कुमारी ने २६ नवंबर को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। आपके लिए पेश है शपथ ग्रहण की एक्सक्लूसिव तस्वीर।
आपसे निवेदन
Monday, November 29, 2010
पुतुल कुमारी का शपथ ग्रहण
बांका से चुने जाने के बाद पुतुल कुमारी ने २६ नवंबर को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। आपके लिए पेश है शपथ ग्रहण की एक्सक्लूसिव तस्वीर।
Thursday, November 25, 2010
ये दद्दा को श्रद्धांजलि है : मनोज
श्री मनोज कुमार मिश्र ने बताया जल्द ही छतहार में पुतुल जी का एक अभिनंदन समारोह रखा जाएगा। छतहार के श्री पंकज सिंह, श्रीवेदानंद सिंह, श्री अनंत राय, श्री उदय, श्री पवनानंद मिश्र, श्री रोशन मिश्र, श्री ब्रजेश मिश्र समेत तमाम लोगों ने पुतुल जी को जीत की बधाई दी है।
अमरपुर में जनार्दन, तारापुर में नीता
अमरपुर में उम्मीदवारों की स्थिति
जनार्दन मांझी (जेडीयू) 47300
सुरेंद्र प्रसाद सिंह (आरजेडी) 29293
राकेश कुमार सिंह (कांग्रेस) 9583
अनिल कुमार सिंह (लोकतांत्रिक समता दल) 7898
बेबी देवी (झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक) 5160
मनोज आजाद (एनसीपी) 3776
सैयद आलमदार हुसैन (निर्दलीय) 3667
विनोद कुमार (लोकतांत्रिक सवर्ण समाज पार्टी) 3049
केदार प्रसाद सिंह (एसजेपी राष्ट्रीय) 1785
रमेश कुमार चौधरी (जेडीएस) 1143
जवाहरलाल पासवान (निर्दलीय) 1033
सुरेश पासवान (निर्दलीय) 920
अमित कुमार झा (इंडियन जस्टिस पार्टी) 840
पंकज कुमार (समाजवादी पार्टी) 545
तारापुर में उम्मीदवारों की स्थिति
नीता चौधरी (जेडीयू) 44582
शकुनी चौधरी (आरजेडी) 30704
संजय कुमार (कांग्रेस) 18282
रमन कुमार (जेएमएम) 9167
सुमित्रा देवी (जनवादी पार्टी सोशलिस्ट) 4089
राम प्रसाद साह (निर्दलीय) 3019
ओमप्रकाश साहनी (एनसीपी) 1776
श्रवण कुमार सिंह (इंडियन जस्जिस पार्टी) 1612
अशोक कुमार सिंह (निर्दलीय) 1415
नारायण यादव (एसयूसीआई) 1340
देव प्रकाश सिंह (लोकतांत्रिक समता दल) 1145
संजय कुमार सिंह (बीएसपी) 969
मनोज कुमाक मधुकर (समाजवादी पार्टी) 521
देवानंद सिंह (शिव सेना) 512
दद्दा को श्रद्धांजलि, जीत गईं पुतुल कुमारी
पुतुल कुमारी अपने पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह के आकस्मिक निधन की वजह से खाली हुई सीट से चुनाव मैदान में उतरी थीं। बांका में स्वर्गीय दिग्विजय बाबू के कद और उनके प्रति जनता की संवेदना को देखते हुए कांग्रेस और जेडीयू ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।
गौरतलब है कि जेडीयू से टिकट ना मिलने पर दिग्विजय बाबू बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे थे और जीते थे। लेकिन, उनके आकस्मिक निधन के बाद जेडीयू ने उनकी पत्नी के लिए ये सीट छोड़ दिया था। जबकि, दद्दा के अंतिम संस्कार के वक्त आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ने बांका से अपना प्रत्याशी ना खड़ा करने का जो वादा किया था, उसे तोड़कर आरजेडी सरकार में मंत्री रहे जय प्रकाश नारायण को उतार दिया। इस वादाखिलाफी की जनता ने सजा दे दी।
बांका लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की स्थिति इस प्रकार रही
पुतुल कुमारी (निर्दलीय) 288958
जयप्रकाश नारायण (आरजेडी) 219839
इंद्राज सिंह सैनी (बीएसपी) 57702
नीरज कुमार (एलएसएसपी) 35593
सीपी श्रीवास्तव (निर्दलीय) 26546
प्रवीण कुमार झा निर्दलीय) 18508
घनश्याम दास (निर्दलीय) 17389
Tuesday, November 23, 2010
सिंटू बाबू के घर शहनाई
Saturday, November 6, 2010
छतहार में मेला शुरू
छतहार में दीवाली पर मातम
हर्ष के आकस्मिक निधन पर छतहार शोकाकुल है। भगवान से प्रार्थना है कि हर्ष की आत्मा को शांति मिले और उनके घरवालों को दुखों का सामना करने की शक्ति मिले।
Wednesday, November 3, 2010
धनतेरस और दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
दीवाली पर छतहार के लोगों के नाम मुखियाजी श्री मनोज कुमार मिश्र का संदेश आया है। पेश है आपके लिए।
Friday, October 29, 2010
चुनाव पूर्व मुखियाजी का संदेश
Tuesday, October 26, 2010
अमरपुर में दिलचस्प मुकाबला
हालांकि इस सीट की सीधी लड़ाई को त्रिकोण बनाने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं। दरअसल राजद प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह अब तक राजद वोट बैंक व अपनी जाति की मजबूत गोलबंदी से चुनाव जीतते रहे हैं। राजद की जदयू पर जीत का फासला भी कम रहा है। इस चुनाव में जदयू ने उसी जाति के बेलहर विधायक जर्नादन मांझी को अमरपुर से प्रत्याशी बनाकर नया दांव चल दिया है।
वर्तमान विधायक के पास चार चुनाव जीतने और क्षेत्र से पुराने जुड़ाव का फायदा है तो जदयू प्रत्याशी क्षेत्र के लिए नये हैं। हालांकि राजद विधायक के लिए इस बार पिछले चुनाव की तुलना में चुनौती बढ़ी है। इसका कारण उनके आधार वोट में जदयू की सेंधमारी है। जिससे मुकाबला काफी टफ हो गया है।
नये परिसमन में फुल्लीडुमर प्रखंड के चार पंचायत घटने तथा शंभूगंज के छह पंचायत बढ़ने से राजद वोट बैंक को ही आंशिक नुकसान हुआ है। इस चुनाव में भी जनता विकास के मुद्दे के साथ विधायक जी के पंद्रह साल के कार्यकाल का हिसाब ले रही है। पंद्रह साल लगातार विधायकी का एंटी इंकबैंसी भी उनके पीछे पड़ी है। जनता का मूड इस पर कितना नरम रहेगा यह जीत हार का परिणाम देगा।
इससे इतर कांग्रेस ने सवर्ण प्रत्याशी राकेश कुमार सिंह को मैदान में उतार कर जदयू की परेशानी थोड़ी बड़ा रखी है। जदयू के लिए उन्हीं की पार्टी के एनसीपी उम्मीदवार बने मनोज आजाद, निर्दलीय अनिल कुमार सिंह सहित कई दलीय टिकट से वंचित नेता भी जीत में रोड़ा अटकाने को प्रयासरत हैं तो राजद के लिए भी लोजपा नेत्री बेबी यादव, जवाहर लाल पासवान, सपा के पंकज कुमार आदि प्रत्याशी बन बाधा बने हुए हैं। इसके अलावा सजपा प्रत्याशी केदार प्रसाद सिंह, लोससपा के विनोद कुमार, इंजपा के अमित कुमार झा, सुरेश पासवान, सैयद आलमदार हुसैन, जेडीएस के रमेश कुमार चौधरी भी मैदान में उतर कर विधायक बनने को बेताब दिख रहे हैं। प्रत्याशियों के समर्थन में बड़े नेताओं की चुनावी सभा शुरू होने के बाद मुकाबले की तस्वीर और साफ दिखने लगेगी।
(ये खबर दैनिक जागरण से ली गई है। हम इसका कोई व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं कर रहे। अगर दैनिक जागरण को कोई आपत्ति हो तो हम ब्लॉग से खबर हटाने को तैयार हैं)
अनूठा है बांका
भारतीय लोकतंत्र में शायद ही ऐसा कोई संसदीय क्षेत्र होगा, जहां पांच मर्तबा लोकसभा का उपचुनाव हुआ हो। परंतु बांका के मतदाता एक नवंबर को पांचवीं बार उपचुनाव में वोट डालेंगे। आजादी के बाद प्रथम लोकसभा का चुनाव 1952 में हुआ जब यहां से सुषमा सेन निर्वाचित हुई। 1957 से 62 तक शंकुतला देवी ने बांका का संसद में प्रतिनिधित्व किया। चौथे आम चुनाव में 1967 से 71 तक पंडित वेणी शंकर शर्मा यहां से चुनाव जीते।
पांचवीं लोक सभा चुनाव में 1971 से 73 तक शिव चंडिका प्रसाद यहां से संसद चुने गये। लेकिन वर्ष 73 में उनके निधन के बाद पहली मर्तबा यहां के लोगों को उपचुनाव का सामना करना पड़ा। वर्ष 1973 में बांका लोकसभा क्षेत्र के लिए हुए प्रथम उपचुनाव में मधुलिमए निर्वाचित हुए। वे 73 से 80 तक यहां के सांसद रहे।
वर्ष 1980 के आम चुनाव में चंद्रशेखर सिंह यहां से विजयी हुए। लेकिन वर्ष 1983 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद बांका संसदीय सीट पर वर्ष 84 में दोबारा उपचुनाव हुआ और यहां से मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह की पत्नी मनोरमा सिंह संसद के रूप में निर्वाचित हुई। वर्ष 1985 में चंद्रशेखर सिंह को राजीव गांधी केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने के बाद उनकी पत्नी मनोरमा देवी ने बांका सीट से इस्तीफा दे दी। तब जाकर यहां तीसरी बार वर्ष 85 में यहां लोकसभा का उपचुनाव हुआ।
लेकिन चंद्रशेखर सिंह के निधन हो जाने के बाद यहां चौथी बार वर्ष 1986 में लोकसभा का उपचुनाव हुआ और स्व. सिंह की पत्नी मनोरमा सिंह यहां से निर्वाचित हुई। 1989 एवं 91 के आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के समधी प्रताप सिंह यहां से सांसद चुने गये। उसके बाद 96 में गिरधारी यादव, 99 में दिग्विजय सिंह, 04 में गिरधारी यादव एवं 2009 के संसदीय चुनाव में दिग्विजय सिंह बांका से सांसद के रूप में निर्वाचित हुए। लेकिन वर्ष 2010 में दिग्विजय सिंह के निधन हो जाने के बाद 01 नवंबर को यहां पांचवीं बार लोकसभा का उपचुनाव होना है।
तेलडीहा में नहीं कटेगा पाठा
श्रीश्री 108 कृष्ण काली भगवती तेलडीहा हरवंशपुर के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर में विगत दिनों हुए हादसे में दर्जनों लोगों की मौत के बाद पाठा बलि पर बांका जिला प्रशासन ने मौखिक आदेश से रोक लगा दी है।डीएम ने महानवमी के दिन पाठा बलि के क्रम में एक दर्जन से अधिक लोगों के कुचल कर मर जाने की घटना की गंभीरता से लेते हुए ऐसा आदेश दिया। इस आदेश के मद्देनजर मेढ़पति भी अब अपने पाठा की बलि नहीं देंगे। आदेश की जानकारी मेढ़पति परिवार के सदस्य सह सक्रिय व्यवस्थापक शंकर कुमार दास ने दी है। श्री दास ने बताया कि इसकी सूचना मंदिर में टांग दी गयी है।
तारापुर थाना की सीमा के समीप इस देवी मंदिर के प्रति आस्था रखने वालों में बांका, मुंगेर व भागलपुर जिले के अतिरिक्त दूर दराज के लोग शामिल हैं। इन क्षेत्रों के लाखों श्रद्धालु प्रति वर्ष यहां देवी के दर्शन के लिए आते हैं। पूजा के दौरान वहां बीस हजार से अधिक पाठे की बलि चढ़ायी जाती रही है। गत वर्ष तक वहां मेढ़ वापसी के समय भी हजारों की संख्या में पाठे की बलि दी गई थी। इस वर्ष बलि नहीं दी जा सकेगी। प्रशासन के इस निर्णय से कही खुशी तो कहीं गम का माहौल बना हुआ है।
Friday, October 22, 2010
हादसे से पहले का हाल
मित्रो, छतहार और आसपास के इलाकों में दुर्गा पूजा धूमधाम से संपन्न हो गई, लेकिन जाने के साथ छोड़ गईं एक दुखद याद। महानवमी की शाम छतहार पंचायत के टेलडीहा मंदिर में भगदड़ मचने से भीषण हादसा हो गया। बकरे की बलि के लिए कुछ लोगों ने ऐसी हड़बड़ी मचाई कि मंदिर का ग्रिल टूट गया, लोग एक दूसरे पर गिरते चलते गए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक १० लोग मारे गए, हालांकि चश्मदीदों के मुताबिक मरने वालों की तादाद १४ है। प्रशासन ने मरने वालों के घरवालों को एक-एक लाख की सहायता राशि देने का एलान किया है, लेकिन जान की कीमत भला किसी रकम चुकाई जा सकती है क्या।
हमारी कामना है कि टेलडीहा मां मृतकों की आत्मा को शांति दें और उनके घरवालों को नए सिरे से जिंदगी शुरू करने का ढांढ़स। मित्रों, महाअष्टमी की शाम, यानि भगदड़ से ठीक २४ घंटे पहले मैं उसी मंदिर के बाहर था और ब्लॉग के लिए तस्वीरें उतार रहा था। पेश हैं, टेलडीहा की हादसे से पहले की तस्वीरें।
Monday, October 18, 2010
Wednesday, October 13, 2010
चुनावी रंग में छतहार
Sunday, September 12, 2010
सूखे से जूझता छतहार
छतहार सूखे से जूझ रहा है। सितंबर का दूसरा हफ्ता बीत रहा है, लेकिन छतहार में बारिश नहीं हुई है। लोग आसमान निहार रहे हैं। इंद्र देवता से प्रार्थना कर रहे हैं, लेकिन मेघराज का दिल नहीं पसीज रहा। रोपनी का समय बीत चुका है। मुश्किल से एकाध लोग पम्पिंग सेट के जरिये रोपनी कर पाए, लेकिन अब वो भी सूखे की भेंट चढ़ने लगा है। छतहार, टीना, मालडा, तिलधिया पंचायत के तमाम इलाकों में खेत इस बार सूने पड़ा है। मेड़ों पर ना रोपणी के गीत सुनाई दे रहे हैं ना किसानों के चेहरे पर खुशी नजर आ रही है। ज्ञात हो कि इलाके के ज्यादातर लोग खेती पर ही निर्भर हैं।मुखिया श्री मनोज कमार मिश्र के चेहरे पर कुदरत के इस आफत से उपजी चिंता साफ देखी जा सकती है। वो कहते हैं- सरकार ने पूरे बिहार को सूखाग्रस्त तो घोषित कर दिया है, लेकिन इसका कोई फायदा किसानों को नहीं मिल रहा। रही सही कसर चुनाव आचार संहिता लागू होने के साथ हो गई है।
मुखियाजी के मुताबिक इलाके के सारे नहर लगभग सूखे पड़े हैं। कुछ किसानों ने बोरिंग के जरिये खेत रोपने की कोशिश भी की, लेकिन संसाधनों की कमी आड़े आ रही है। लोग चिंता में घुले जा रहे हैं। वो टीवी पर दिल्ली और हरियाणा की बारिश देखकर ऊपर वाले के अन्याय पर आंसू बहा रहे हैं।
Monday, September 6, 2010
छतहार में चुनाव एक नवंबर को
Sunday, August 29, 2010
आधा छतहार अंधेरे में
दोस्तो, पिछले कुछ समय से आपका ब्लॉग अपडेट नहीं हो पा रहा है, इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं। दरअसल, इसकी एक बड़ी वजह बिजली है। पिछले करीब एक हफ्ते से आधा छतहार अंधेरे में डूबा हुआ है। गांव का एक ट्रांसफॉर्मर खराब हो गया है, जिससे राजपूत टोला, भूमिहाल टोला, शाकद्वीपीय बिचला टोला में बिजली नहीं है। इस वजह छतहार की तस्वीरें और खबरें मिलनी बंद हो गई हैं। छतहार के मुखिया श्री मनोज कुमार मिश्र के मुताबिक ट्रांसफॉर्मर के मरम्मत या उसे बदलने वाली कोशिशें जारी हैं। इसकी खबर बिजली विभाग को भी कर दी गई है, लेकिन टीआरडब्ल्यू में फिलहाल कोई ट्रांसफॉर्मर नहीं है इस वजह से इसमें दिक्कत आ रही है। आपको बता दें कि ट्रांसफॉर्मर से संबंधित काम टीआरडब्ल्यू ही देखती है।
Tuesday, August 24, 2010
ये राखी बंधन है ऐसा
Sunday, August 15, 2010
छतहार में स्वतंत्रता दिवस की झांकी
छतहार में बच्चे पूरे हर्षोल्लास से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झांकी निकालते हुए
सभी फोटो रौशन मिश्र के सौजन्य से
Saturday, August 14, 2010
झंडा ऊंचा रहे हमारा
पूरा देश आजादी के रंग में रंगा हुआ है और छतहार भी इससे अछूता नहीं है। 15 अगस्त को आजादी का पर्व मनाने के लिए गांव में व्यापक पैमाने पर तैयारी की गई है। चार जगहों पर यहां झंडोत्तोलन का कार्यक्रम रखा गया है। माध्यमिक विद्यालय में झंडोत्तोलन के अलावा गीत-संगीत का भी कार्यक्रम रखा गया है। पंचायत भवन में मुखिया श्री मनोज कुमार मिश्र झंडा फहराएंगे। पंचायत के सरपंच श्रीबाबू लसौड़ा पर झंडा फहराएंगे जबकि पंचायत समिति श्री जीवन सिंह शहीद विश्वनाथ पुस्तकालय पर तिरंगा लहराएंगे। बुद्धिजीवी श्री त्रिपुरारी सिंह द्वारा गठित विचार मंच की तरफ से झंडोत्तोलन का कार्यक्रम रखा गया है। 15 अगस्त पर छतहार में होने कार्यक्रम की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट आप अपने प्रिय ब्लॉग पर देख पाएंगे। छतहार ब्लॉग की तरफ से सभी छतहारवासियों को स्वंतंत्रता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।
झगड़ा खुद सुलझाएं तो अच्छा
पंचायत प्रमुख श्री मनोज कुमार मिश्र की अध्यक्षता में हुई बैठक में थाना प्रभारी श्री राय ने कहा कि आपसी विवाद को पंचायत स्तर पर मिल बैठ कर सुलझाना ही फायदेमंद होता है। उन्होंने कहा कि जब गांववाले किसी झगड़े को लेकर उनके पास पहुंचते हैं तो उनकी पहली प्राथमिकता होती है बातचीत के जरिये इसका समाधान ढूंढ़ने की। गांववाले भी थाना और कचहरी का चक्कर काटने की बजाए अगर संवाद के जरिये सौहार्दपूर्ण वातावरण में विवाद सुलझा लें तो ये समाज की शांति और आपासी सदभाव के हित में होगा।
उन्होंने कहा कि वो आपसी विवाद के निपटारे में गांववालों को हरसंभव मदद पहुंचाएंगे। कटु से कटु विवाद की स्थिति में भी वो तब तक इसे मुकदमेबाजी तक नहीं पहुंचने देंगे, जब तक कि सुलह के सारे रास्ते बंद नहीं हो जाते।
बैठक में गांववालों ने श्री राय से शिकायत रखी कि अक्सर सालों पुराने मामले में आधी रात को पुलिस वाले गिरफ्तारी वारंट लेकर चले आते हैं। कई मामले तो ऐसे होते हैं कि आरोपी उस केस को भूल चुका होता है। ऐसे में पुलिस के इस तरह वारंट लेकर पहुंचने और गिरफ्तारी से समाज में बदनामी होती है क्योंकि ऐसे ज्यादातर केस आपराधिक नहीं बल्कि निजी द्वेष के होते हैं। गांववालों ने मांग की कि अगर किसी के नाम पुराने मामलों का वारंट जारी होता है तो इसकी सूचना संबंधित व्यक्ति को पहले मिलनी चाहिए ताकि वो कोर्ट में सरेंडर कर उचित कानूनी कार्रवाई कर सके। इस पर थाना प्रभारी श्री राय ने गांववालों को भरोसा दिया कि वो इसे अमल में लाएंगे और पंचायत प्रतिनिधि के माध्यम से संबंधित व्यक्ति तक वारंट की जानकारी पहुंचा देंगे। लेकिन चौबीस घंटे के भीतर सरेंडर ना करने की स्थिति में पुलिस गिरफ्तारी के लिए बाध्य हो जाएगी।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए पंचायत प्रमुख श्री मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि उनकी शुरू से ही कोशिश रही है कि गांव में सौहार्द का माहौल बना रहे। लोग मिल बैठकर अपनी शिकायत दूर करें। इस मामले में उन्हें काफी कुछ कामयाबी भी मिली है, लेकिन इसे पूरी तरह कामयाब गांववालों की मदद से ही बनाया जा सकता है।
बैठक में मुखिया श्री मनोज कुमार मिश्र और थानाध्यक्ष श्री अरुण कुमार राय के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद थे। इनमें शामिल हैं श्री पंकज सिंह, प्रकाश चौधरी, बुटेरी चौधरी श्रीनारायण सिंह, मिर्जापुर से चक्रघर मिश्र, जसोधर पाठक, अरुण पाठक, भैरव मिश्र, श्यामानंद मिश्र, सच्चिदानंद मिश्र, सदानंद मिश्र, चंद्रशेखर झा, विजयमोहन मिश्र, माडला से देवेंद्र वर्मा, संजय वर्मा, टीना से गरीब मंडल, राजेश मंडल, वासुदेव रविदास, उमाकांत पासवान आदि मौजूद थे।
बैठक में 11 लोगों की कमेटी बनाई गई, जो आपसी झगड़े का निपटारा करेगी। इस कमेटी में शामिल हैं- श्रीनारायण सिंह (अध्यक्ष), केसरी किशोर तिवारी, अरुण पाठक, दिलीप झा, सच्चिदानंद मिश्र, चक्रधर मिश्र, उमाकांत पासवान, भैरव मिश्र, संजय वर्मा, छेदी चौबे और अरविंद मिश्र।
Friday, August 13, 2010
मुकेश के घर गूंजी किलकारी
Saturday, July 31, 2010
बोल बम
Saturday, July 24, 2010
शाकद्वीपीय टोला में फिर शोक, विजय बा नहीं रहे
Saturday, July 10, 2010
विषहरी पूजा मंगलवार को
Wednesday, July 7, 2010
शाकद्वीपीय समाज में शोक
पिछले महिने कोलकाता से अपनी बेटी और दामाद को लेकर टाटा लौट रहे गोपाल मिश्र की गाड़ी को एक ट्रक ने सामने से टक्कर मार दी। इसके बाद एक टैंकर भी पीछे से उनकी कार में टकरा गई। इस हादसे में उनके ड्राइवर ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। गोपाल मिश्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे और परिवार के अन्य लोग आंशिक रूप से घायल हुए। उन्हें इलाज के लिए कोलकाता में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें टाटा वापस ले आया गया, जहां डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
Friday, July 2, 2010
याद किए गए दिग्विजय सिंह
Tuesday, June 29, 2010
छतहार में शोक सभा
दिग्विजय सिंह पंचतत्व में विलीन
इस मौके पर राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद, लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान, सांसद ललन सिंह, राज्य के मंत्री नरेंद्र सिंह, सूरजभान सहित विभिन्न दलों के कई नेता उपस्थित थे।
पांच बार सांसद रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय की अंतिम यात्रा उनके निवास से निकल नकटी नदी के श्मशान घाट पर तक गई जहां उनके अनुज कुमार त्रिपुरारी सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर हजारों ने अपने प्रिय नेता को अश्रुपूर्ण विदाई दी। इस मौके पर छतहार की तरफ से मुखिया श्री मनोज मिश्र और श्री पंकज सिंह शामिल हुए। रविवार की रात से ही दिवंगत नेता के पैतृक निवास पर उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी तादाद लोगों का आना जारी रहा।
उनके पार्थिव शरीर को रविवार को दिल्ली से पटना लाया गया था जहां से उसे उनके संसदीय क्षेत्र बांका होते हुए गिद्घौर ले जाया गया। पटना रेलवे स्टेशन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद सहित राज्य के कई मंत्रियों ने उन्हें श्रद्घांजलि अर्पित की।
डिस्क्लेमर - उपरोक्त तस्वीर वेबसाइट से ली गई है। तस्वीर व्यावसायिक उपयोग के लिए नहीं है। फिर भी अगर कॉपीराइट का मामला हो तो सूचित करें। तस्वीर हटा ली जाएगी।
Saturday, June 26, 2010
वो भी क्या दिन थे
ये तस्वीर हमें मनोज मिश्र से प्राप्त हुई है। ये तस्वीर तब की है जब दिग्विजय सिंह जेडीयू में थे। बताने की जरुरत नहीं बांका से लोकसभा चुनाव का टिकट ना मिलने पर दिग्विजय ने अलग राह चुन ली। आज दिग्विजय सिंह का शव लंदन से नई दिल्ली लाया गया है। पूर्वा एक्सप्रेस से उनका पार्थिव शरीर उनके गृहशहर जमुई के गिद्धौर ले जाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान से सोमवार को आखिरी विदाई दी जाएगी। 









