गुड़ उत्पादन में कलकत्ता की मंडी में धाक रखने वाले अमरपुर क्षेत्र में इस बार का चुनावी मुकाबला का काफी दिलचस्प है। चुनावी मैदान की तस्वीर साफ होने लगी है। सभी 14 प्रत्याशी अपनी जीत के लिए जी तोड़ कोशिश में जुट गये हैं। लगातार चार बार से जीतते आ रहे राजद के सुरेंद्र प्रसाद सिंह कुशवाहा को इस बार सीट बचाने की चुनौती मिल गयी है। जदयू ने उसी के जाति से आने वाले बेलहर के निवर्तमान विधायक जनार्दन मांझी को प्रत्याशी बनाकर राजद के वोट बैंक में सेंध लगा दी है।
हालांकि इस सीट की सीधी लड़ाई को त्रिकोण बनाने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं। दरअसल राजद प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह अब तक राजद वोट बैंक व अपनी जाति की मजबूत गोलबंदी से चुनाव जीतते रहे हैं। राजद की जदयू पर जीत का फासला भी कम रहा है। इस चुनाव में जदयू ने उसी जाति के बेलहर विधायक जर्नादन मांझी को अमरपुर से प्रत्याशी बनाकर नया दांव चल दिया है।
वर्तमान विधायक के पास चार चुनाव जीतने और क्षेत्र से पुराने जुड़ाव का फायदा है तो जदयू प्रत्याशी क्षेत्र के लिए नये हैं। हालांकि राजद विधायक के लिए इस बार पिछले चुनाव की तुलना में चुनौती बढ़ी है। इसका कारण उनके आधार वोट में जदयू की सेंधमारी है। जिससे मुकाबला काफी टफ हो गया है।
नये परिसमन में फुल्लीडुमर प्रखंड के चार पंचायत घटने तथा शंभूगंज के छह पंचायत बढ़ने से राजद वोट बैंक को ही आंशिक नुकसान हुआ है। इस चुनाव में भी जनता विकास के मुद्दे के साथ विधायक जी के पंद्रह साल के कार्यकाल का हिसाब ले रही है। पंद्रह साल लगातार विधायकी का एंटी इंकबैंसी भी उनके पीछे पड़ी है। जनता का मूड इस पर कितना नरम रहेगा यह जीत हार का परिणाम देगा।
इससे इतर कांग्रेस ने सवर्ण प्रत्याशी राकेश कुमार सिंह को मैदान में उतार कर जदयू की परेशानी थोड़ी बड़ा रखी है। जदयू के लिए उन्हीं की पार्टी के एनसीपी उम्मीदवार बने मनोज आजाद, निर्दलीय अनिल कुमार सिंह सहित कई दलीय टिकट से वंचित नेता भी जीत में रोड़ा अटकाने को प्रयासरत हैं तो राजद के लिए भी लोजपा नेत्री बेबी यादव, जवाहर लाल पासवान, सपा के पंकज कुमार आदि प्रत्याशी बन बाधा बने हुए हैं। इसके अलावा सजपा प्रत्याशी केदार प्रसाद सिंह, लोससपा के विनोद कुमार, इंजपा के अमित कुमार झा, सुरेश पासवान, सैयद आलमदार हुसैन, जेडीएस के रमेश कुमार चौधरी भी मैदान में उतर कर विधायक बनने को बेताब दिख रहे हैं। प्रत्याशियों के समर्थन में बड़े नेताओं की चुनावी सभा शुरू होने के बाद मुकाबले की तस्वीर और साफ दिखने लगेगी।
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