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Friday, October 22, 2010

हादसे से पहले का हाल

दोस्तो, दशहरा मैं छतहार गया था, लिहाजा ब्लॉग अपडेशन का काम नहीं हो पाया। इस बीच, एक बड़ी खबर आपको वक्त पर नहीं मिली। हालांकि, मुझे मालूम है छतहार के अपने रिश्तेदारों और टीवी-अखबारों के जरिये इस खबर से आप वाकिफ हो चुके होंगे।
मित्रो, छतहार और आसपास के इलाकों में दुर्गा पूजा धूमधाम से संपन्न हो गई, लेकिन जाने के साथ छोड़ गईं एक दुखद याद। महानवमी की शाम छतहार पंचायत के टेलडीहा मंदिर में भगदड़ मचने से भीषण हादसा हो गया। बकरे की बलि के लिए कुछ लोगों ने ऐसी हड़बड़ी मचाई कि मंदिर का ग्रिल टूट गया, लोग एक दूसरे पर गिरते चलते गए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक १० लोग मारे गए, हालांकि चश्मदीदों के मुताबिक मरने वालों की तादाद १४ है। प्रशासन ने मरने वालों के घरवालों को एक-एक लाख की सहायता राशि देने का एलान किया है, लेकिन जान की कीमत भला किसी रकम चुकाई जा सकती है क्या।
हमारी कामना है कि टेलडीहा मां मृतकों की आत्मा को शांति दें और उनके घरवालों को नए सिरे से जिंदगी शुरू करने का ढांढ़स। मित्रों, महाअष्टमी की शाम, यानि भगदड़ से ठीक २४ घंटे पहले मैं उसी मंदिर के बाहर था और ब्लॉग के लिए तस्वीरें उतार रहा था। पेश हैं, टेलडीहा की हादसे से पहले की तस्वीरें।
मंदिर परिसर में जमा श्रद्धालुओं की भारी भीड़
श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था बनाते भोलेशंकर मिश्र
श्रद्धालुओं में महिलाओं की तादाद सबसे ज्यादा थी

मंदिर के ठीक बाहर का नजारा
मंदिर का बाहरी हिस्सा

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