श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रेकातिक बीते अगहन बीते
बीते पूष महीना
माघ मास बालम नहीं आए
फागुन मस्त महीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
जैसे अन्न बिन प्राण दुखित भयो
वैसे जल बिन जीना
छोटे बालम देखी नार दुखित भये
गिन गिन कटे महीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
गंगा नहाए सूरज गोर लागे
ठाकुर पूजा किन्हां
किए बिगाड़े रामचंद्र के
छोटे बालम मोहे लिन्हा
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
करी श्रृंगार पलंग चढ़ी बैठी
रोम रोम रस लिन्हां
चोलिया के बंद फड़कन लागे
छूटे घाम पसीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
मत तुम सोचे नारी अभागन
मत कर मुख मलीना
छोटे से बड़े हो जइहैं
सुंदर श्याम नगीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
सौजन्य-श्री लखन सिंह
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