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Sunday, March 28, 2010
छतहार के होली गीत 4
दशरथ के सुत चार भये हो दशरथ के सुत चार भये आज महामंगल कौशलपुर दशरथ के सुत चार भये कौन रानी के भरत-शत्रुघ्न कौन रानी के राम भये आज महामंगल कौशलपुर दशरथ के सुत चार भये कैकई रानी के भरत शत्रुघ्न कौशल्या रानी के राम भये आज महामंगल कौशलपुर दशरथ के सुत चार भये कौन कुंवर को राजतिलक कौन कुंवर वनवास गए आज महामंगल कौशलपुर दशरथ के सुत चार भये भरत कुंवर को राजतिलक रामकुंवर वनवास गए आज महामंगल कौशलपुर दशरथ के सुत चार भये
गाँव की बात सुनते ही मुझे मेरे गाँव की याद आ गई . आप का प्रयास बहुत ही सराहनीय है. गाँव से जुड़ा रहना एक सुखद अनुभूति देती है. होली के गीत ने तो गाँव के होली की याद दिला दी.
गाँव से जुड़े लोगो को होली क्या, सभी अवसरों पर गाँव की याद आती है. गाँव होता ही है ऐसा जंहा से हमारी भावनाए हमेशा जुडी होती है .....लेकिन रोजी रोटी की तलाश में इन्सान अपनी मिट्टी को छोड़ अनजान जगह में आकर वहा का बनने की कोशिश करता है
गाँव की बात सुनते ही मुझे मेरे गाँव की याद आ गई . आप का प्रयास बहुत ही सराहनीय है. गाँव से जुड़ा रहना एक सुखद अनुभूति देती है. होली के गीत ने तो गाँव के होली की याद दिला दी.
ReplyDeleteगाँव से जुड़े लोगो को होली क्या, सभी अवसरों पर गाँव की याद आती है. गाँव होता ही है ऐसा जंहा से हमारी भावनाए हमेशा जुडी होती है .....लेकिन रोजी रोटी की तलाश में इन्सान अपनी मिट्टी को छोड़ अनजान जगह में आकर वहा का बनने की कोशिश करता है
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