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Thursday, June 24, 2010

शोक में डूबा छतहार

दिग्विजय बाबू नहीं रहे। लंदन से जैसे ही ये खबर छतहार पहुंची, पूरा गांव शोक में डूब गया। किसी को भरोसा ही नहीं हो रहा था कि दिग्विजय बाबू इस तरह अकस्मात जा सकते हैं। खबर पुष्ट करने की कोशिश हुई। मुखिया जी ने दिग्विजय बाबू के निजी मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल की घंटी बजती रही और फिर शांत हो गई। भला चिरनिद्रा में सोए दिग्विजय बाबू फोन कैसे उठाते।
अटकलें का दौर शुरू। जैसे-जैसे खबर जंगल की आग की तरह फैली पंचायत के लोगों का मुखियाजी के घर जुटना शुरू हो गया। लोग टीवी खोल कर बैठ गए कि शायद दिग्विजय बाबू की कोई खबर मिल जाए। थोड़ी देर में ही तमाम न्यूज चैनलों पर छतहार वालों के दिल तोड़ने वाला ब्रेकिंग न्यूज का सिलसिला शुरू हो गया। दिग्विजय सिंह का निधन। लंदन में हुआ निधन। ब्रेन हैम्रेज से निधन।
मुखियाजी के साथ बैठे तमाम लोग सन्न थे। सदमे में थे। सकते में भी। बांका संसदीय क्षेत्र की मुखर आवाज गुम हो चुकी थी। एक मिलनसार, आत्मीय, जिंदादिल, भलामानुस हमारे बीच से दूसरी दुनिया जा चुका था। हर तरफ खामोशी थी। मातमी सन्नाटा पसरा था। तभी मुखिया मनोज मिश्र की भर्राई आवाज सन्नाटे को चीरती हुई निकली- दिग्विजय बाबू की मौत छतहार के लिए गहरा सदमा है। ये हमारी निजी क्षति है। दिग्विजय बाबू का छतहार से गहरा लगाव था और यहां की जनता में वो बेहद लोकप्रिय थे। सीधे और सरल प्रकृति के दिग्विजय बाबू लोगों की मदद को हमेशा तैयार रहते थे। छतहार की कई योजनाओं में उन्होंने अपने फंड से पैसा था। हालांकि इस बार वो थोड़े समय के लिए सांसद रह पाए, लेकिन छतहार के विकास में जिस तरह से उन्होंने दिलचस्पी दिखाई उतनी अब तक किसी सांसद ने दिखाई। आखिर में मुखियाजी ने कहा कि ये मेरी निजी क्षति है।
छतहार के मुखिया मनोज मिश्र ने दिग्विजय सिंह के निधन को अपनी निजी क्षति बताते हुए कहा कि कहा कि दिग्विजय जी का निधन देश और खासकर अपने क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है और इसे भरा नहीं जा सकता। दिग्विजय जी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा आगे बढ़ कर प्रयास करते थे।
मुखियाजी चुप हुए तो फिर शुरू हो गया श्रद्धांजलि का सिलसिला। निकल पड़ा यादों का कारवां। पिछले लोकभा चुनाव में दिग्विजय बाबू के लिए छतहार में चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले ब्रजेश कुमार मिश्र उर्फ सिंटू ने कहा-उनके जैसा शख्स मैंने अब तक नहीं देखा। बड़ा आदमी होकर भी वो एकदम जमीन से जुड़े हुए थे। पंकज सिंह बोले- दिग्विजय बाबू से मेरा निजी रिश्ता था। जब भी कोई काम पड़ा उन्होंने कभी ना नहीं किया। वो पढ़े लिखे और निहायत ही सज्जन किस्म के इंसान थे। बांका ही नहीं बिहार ने एक होनहार नेता खो दिया। अगर वो जिंदगी की लंबी पारी खेल पाते तो बांका का कायाकल्प हो जाता।
कुछ महीना पहले ही दिग्विजय बाबू से उनके आवास पर मिलने वाले प्रोफेसर उदय मोहन सिंह बेहद मर्माहत थे। वो याद कर रहे थे वो एक-एक पल कि कैसे दिल्ली में दिग्विजय बाबू से मुलाकात हुई और पहली ही मुलाकात में वो कितनी आत्मीयता से मिले। उदय बाबू ने कहा कि एक ही मुलाकात में उनसे दिल का रिश्ता हो गया था। निर्मल कुमार मिश्र उर्फ नीरू बाबू ने दिग्विजय सिंह को बिहार के नेताओं की जमात का सबसे होनहार चेहरा बताया। उन्होंने कहा कि बिहार खासकर बांका को दिग्विजय बाबू की अभी लंबे वक्त तक जरुरत थी, लेकिन ऊपर वाले के इंसाफ को कौन टाल सकता है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
बैंक में मैनेजर रहे सुबोध कुमार सिंह भी दिग्विजय बाबू की मौत से सदमे में थे। उन्होंने कहा कि भगवान ने हमसे एक सरल, सुबोध मुस्कुराहट छीन ली। उनकी निश्छल मुस्कान और मिलनसार व्यक्तित्व हमेशा यादों में रहेगा। भगवान उनकी पत्नी और बच्चों को दुख सहने का साहस दे।
दिग्विजय सिंह के चुनाव प्रचार से जुड़े अनंत राय और उदय तिवारी ने दिग्विजय बाबू को एक ओजस्वी वक्ता के रूप में याद किया। अनंत राय बोले- वो जनता की आवाज थे। बिहार के वो उन चंद गिने-चुने नेताओं में थे जिनकी आवाज हमेशा दिल्ली में गूंजती थी। टीवी चैनलों पर उन्हें देखकर हमारा सिर गर्व से ऊंचा हो जाता था। लेकिन, आज हमारे लिए दुख की घड़ी है।
उदय तिवारी ने कहा- बांका पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है। दिग्विजय बाबू नहीं रहे. यकीन नहीं होता। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके चाहने वालों को दुख झेलने की शक्ति।

2 comments:

  1. Aaj Chhathar Blog kholne ke sath hi ye news flash hua , unka face saamne ghum raha hai.main apne chhathar school mein unke ayojan mein samil tha.
    Ishwar unki atma ko shanti pradan kare.Unka karya sada amar rahega.Aur Atma to amar hai hi.

    Divyanshu jee ,Unka ek Hansa hua photo blog per dal den.

    Thanks
    Manoj Mishra
    Honeywell
    Begusarai

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  2. I am sorry to hear about Digvijay singh's death. We are still in shock, especially that we have just lost such a splendid ,experienced political leader.
    I cannot imagine the pain of losing a humanitarian, much more at the peak of his career. We will definitely miss him. Our friends and family are also extending their deepest sympathies to him and his family.
    I hope his smiles and works for our village will somehow bring back good memories.
    He and his family will always be in our prayer.

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