आपसे निवेदन

आप चाहे छतहार में रहते हों या छतहार से बाहर, अगर आपका रिश्ता छतहार से है तो ये ब्लॉग आपका है। हम चाहते हैं कि आप छतहार के बारे में अपनी जानकारी, अपनी भावना, अपने विचार हमसे बांटें। आप अगर छतहार से बाहर रहते हैं और जिंदगी की आपाधापी में छतहार से आपका रिश्ता टूट चुका है तो हम चाहते हैं कि आप अपने बारे में हमें जानकारी भेजें ताकि ब्लॉग में हम उसे पोस्ट कर छतहार से आपका रिश्ता जोड़ सकें। हमारा मकसद इस ब्लॉग को छतहार का इनसाइक्लोपीडिया बनाना है। दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठा कोई शख्स छतहार के बारे में अगर कोई जानकारी चाहे तो उसे अपने गांव की पक्की सूचना मिल सके। ये आपके सहयोग के बगैर संभव नहीं है। हमें इस पते पर लिखे- hkmishra@indiatimes.com

Sunday, June 6, 2010

छतहार के आस्था केंद्र

छतहार और आसपास के इलाके के लोगों के धार्मिक आस्था का अहम केंद्र शिवाला। शिवाला का निर्माण करीब १९३४ ईस्वी का बताया जाता है। छतहार के मशहूर वैद्याचार्य पंडित गोरेलाल मिश्र ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। वर्तमान में उनके वंशज इसकी देखभाल करते हैं। इस मंदिर की खासियत एक साथ मां काली, भगवान शिव और उनके परिवार तथा भगवान सूर्य का मंदिर। इलाके भगवान भास्कर का ये अकेला मंदिर है।
मां काली मंदिर का एक दृश्य।
मां तिलधिया महारानी। मां दुर्गा का ये मंदिर बिहार के जाने-माने मंदिरों में शुमार है। कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन ने मांगता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। प्रत्येक मंगल और शनिवार को यहां बड़ी तादाद में भक्त जुटते हैं। दुर्गापूजा के वक्त तो दूर-दूर से श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने और मन्नत उतारने आते हैं।
प्रेमनाथ बाबा। नदी के पार तड़बन्ना के पास, जहां कभी गांव की क्रिकेट टीम खेला करती थी।
शीतला मंदिर।
शीतला मंदिर।
कालिनाथ स्थान, सिंघिया।
नोट- छतहार में धार्मिक आस्था के केंद्र और भी हैं। विषहरी स्थान, जलपा महारानी मंदिर, बजरंगल बली मंदिर, सत्ती स्थान, हरटोल बाबा स्थान, प्रेमनाथ बाबा शिवालय। अगर इनकी तस्वीरें आपके पास हैं तो हमें इस पते पर भेजिये- hkmishra@indiatimes.com

6 comments:

  1. Bahut Achhe,

    Ek - Ek Snap mela ke dino ka bhi post kiya jaay.Aur Shivala posting mein Bhagwaan Bhaskar and Baba Bhola ka bhi snap add kiya jaay.

    Regards
    Manoj Mishra (Honeywell)
    Uttar Tola
    Chhathar

    ReplyDelete
  2. हां, हमारी यही कोशिश है। इसलिए हम छतहार से जुड़े हर शख्स से सामग्री भेजने का अनुरोध करते रहते हैं।

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  4. मुझा आज भी याद है व दिन कली पूजा का मेला सुबह होता ही मेले से दही कचोरी ,घुप चुप ,झालामुदी ओर सबसे मजेदार बात ठीक मंदिर के सामने एक ठेला वाला आवाज लगता है चारआना पौवा .

    ReplyDelete
  5. मुझा आज भी याद है व दिन कली पूजा का मेला सुबह होता ही मेले से दही कचोरी ,घुप चुप ,झालामुदी ओर सबसे मजेदार बात ठीक मंदिर के सामने एक ठेला वाला आवाज लगता है चारआना पौवा .

    ReplyDelete
  6. हां, छतहार के कालीपूजा मेला की यादें तो भुलाए नहीं भूलती। भले ही मेले का दायरा छोटा हो. दिल्ली के आम बाजारों की तरह भव्यता ना हो,लेकिन लोगों की उमंग के आगे दिल्ली के बाजारों की भव्यता फीकी है.

    ReplyDelete