कल अचला सप्तमी है। जिसे सूर्य सप्तमी भी कहते हैं। भगवान सूर्य की आराधना का पर्व। छतहार के समस्त लोगों को अचला सप्तमी की शुभकामनाएं। अचला सप्तमी का पर्व खास तौर पर शाकद्वीपीय समाज में मनाया जाता है। छतहार इलाके में संभवत: अकेला स्थान है जहां भगवान सूर्य का मंदिर है और जहां सूर्य की पूजा होती है। ये मंदिर छतहार के मशहूर शिवाला में स्थित है। दो तस्वीरें पोस्ट कर रहा हूं। सबसे ऊपर हैं सूर्य देवता और नीचे की तस्वीर में सूर्य मंदिर का बाहर का दृश्य।
आपसे निवेदन
आप चाहे छतहार में रहते हों या छतहार से बाहर, अगर आपका रिश्ता छतहार से है तो ये ब्लॉग आपका है। हम चाहते हैं कि आप छतहार के बारे में अपनी जानकारी, अपनी भावना, अपने विचार हमसे बांटें। आप अगर छतहार से बाहर रहते हैं और जिंदगी की आपाधापी में छतहार से आपका रिश्ता टूट चुका है तो हम चाहते हैं कि आप अपने बारे में हमें जानकारी भेजें ताकि ब्लॉग में हम उसे पोस्ट कर छतहार से आपका रिश्ता जोड़ सकें। हमारा मकसद इस ब्लॉग को छतहार का इनसाइक्लोपीडिया बनाना है। दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठा कोई शख्स छतहार के बारे में अगर कोई जानकारी चाहे तो उसे अपने गांव की पक्की सूचना मिल सके। ये आपके सहयोग के बगैर संभव नहीं है। हमें इस पते पर लिखे- hkmishra@indiatimes.com
Sunday, January 29, 2012
Saturday, January 28, 2012
छतहार का पिन कोड क्या है?

सरस्वती पूजा की शुभकामनाएं

ये सरस्वती पूजा का वो रूप था जो आज भी सुखद अहसास देता है। इसके बाद मैं कॉलेज की पढ़ाई के लिए भागलपुर आ गया। यहां मुझे सरस्वती पूजा का दूसरा ही रूप देखने को मिला। यहां सरस्वती पूजा मतलब लुच्चे लफंगों के लिए मस्ती की शाम। सरस्वती पूजा के नाम पर जबरन चंदा वसूली। और फिर चंदे से शराबखोरी। भजन के नाम पर सरकाय लो खटिया जाड़ा लागे पर डांस। ये सरस्वती पूजा के दो रूप थे। लेकिन 1995 में दिल्ली आने के बाद वो रूप भी खत्म हो गया क्योंकि यहां मुझे कहीं भी सार्वजनिक रूप से मां सरस्वती की पूजा देखने को नहीं मिली। तो क्या सिर्फ मां सरस्वती सिर्फ बिहार के लिए हैं। ऐसा है तो चलो, अच्छा है।
Thursday, January 19, 2012
एसी कोच में जाओ तो पहचान पत्र रखना
अब वातानुकूलित डिब्बे यानी एसी कोच में दूसरे के नाम पर रिजर्व रेल टिकट लेकर सफर करना यात्रियों को बहुत महंगा पड़ेगा। किसी भी एसी क्लास में आईडी प्रूफ नहीं दिखाने पर यात्रियों को अब बिना टिकट माना जाएगा। रेलवे का यह नया नियम अगली 15 फरवरी से पूरे देश में लागू हो जाएगा। हस्तांतरित रिजर्व टिकटों की बढ़ती दलाली रोकने के मकसद से रेलवे बोर्ड ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रेलवे ने अब तक सिर्फ तत्काल और इंटरनेट टिकटों की यात्रा में ही आईडी प्रूफ का प्रावधान बना रखा था। रेल यात्रियों और सांसदों से चौतरफा शिकायतें मिलने के बाद रेल मंत्रालय के निर्देश पर रेलवे बोर्ड ने यह फैसला किया है। इस निर्णय की जानकारी रेलवे बोर्ड में वाणिज्य यातायात विभाग के डिप्टी डायरेक्टर संजय मनोचा ने दिल्ली स्थित उतर रेलवे समेत सभी 17 जोनों के मुख्य वाणिज्य महाप्रबंधक को भेजी है।
मनोचा ने 16 जनवरी को जारी अपने सकुर्लर में स्पष्ट कर दिया है कि 15 फरवरी से मान्य आईडी प्रूफ की मूल प्रति नहीं दिखाने पर यात्रियों को बिना टिकट समझा जाएगा। जाहिर है कि अब एसी थ्री, एसी टू, फस्र्ट क्लास एसी, एसी चेयर कार और एक्जीक्यूटिव क्लास के सफर में एक पहचान पत्र की मूल प्रति साथ रखना आवश्यक हो गया है।
आईडी प्रूफ न दिखाने पर यात्री से अब अलग से पूरा किराया वसूला जाएगा। रेलवे के नियमानुसार नौ तरह के सरकारी पहचान पत्रों को वैध माना जाएगा। इनमें वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राज्य व केन्द्र सरकारों के पहचान पत्र, मान्यता प्राप्त संस्थानों के विद्यार्थी पहचानपत्र, राष्ट्रीयकृत बैंकों के फोटोयुक्त पासबुक, फोटोयुक्त बैंक के क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड शामिल हैं।
रेलवे बोर्ड ने 15 फरवरी से इसकी जांच के लिये सभी मुख्य वाणिज्य प्रबंधकों (सीसीएम) को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने जोन में टिकट चेकिंग स्टाफ को इस फैसले की जानकारी दे दें। रेलवे बोर्ड ने यात्री आरक्षण प्रणाली में इस नियम से संबंधित आवश्यक संशोधन के लिये सेंटर फॉर रेलवे इन्फार्मेशन सिस्टम यानि 'क्रिस' को एसी टिकटों के आरक्षण के समय ही आईडी का उल्लेख करने के लिए सॉफ्टवेयर को अपडेट करने का निर्देश दिया है।
मनोचा ने 16 जनवरी को जारी अपने सकुर्लर में स्पष्ट कर दिया है कि 15 फरवरी से मान्य आईडी प्रूफ की मूल प्रति नहीं दिखाने पर यात्रियों को बिना टिकट समझा जाएगा। जाहिर है कि अब एसी थ्री, एसी टू, फस्र्ट क्लास एसी, एसी चेयर कार और एक्जीक्यूटिव क्लास के सफर में एक पहचान पत्र की मूल प्रति साथ रखना आवश्यक हो गया है।
आईडी प्रूफ न दिखाने पर यात्री से अब अलग से पूरा किराया वसूला जाएगा। रेलवे के नियमानुसार नौ तरह के सरकारी पहचान पत्रों को वैध माना जाएगा। इनमें वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राज्य व केन्द्र सरकारों के पहचान पत्र, मान्यता प्राप्त संस्थानों के विद्यार्थी पहचानपत्र, राष्ट्रीयकृत बैंकों के फोटोयुक्त पासबुक, फोटोयुक्त बैंक के क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड शामिल हैं।
रेलवे बोर्ड ने 15 फरवरी से इसकी जांच के लिये सभी मुख्य वाणिज्य प्रबंधकों (सीसीएम) को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने जोन में टिकट चेकिंग स्टाफ को इस फैसले की जानकारी दे दें। रेलवे बोर्ड ने यात्री आरक्षण प्रणाली में इस नियम से संबंधित आवश्यक संशोधन के लिये सेंटर फॉर रेलवे इन्फार्मेशन सिस्टम यानि 'क्रिस' को एसी टिकटों के आरक्षण के समय ही आईडी का उल्लेख करने के लिए सॉफ्टवेयर को अपडेट करने का निर्देश दिया है।
साभार- दैनिक भास्कर
Wednesday, January 18, 2012
शहीद विश्वनाथ की याद में राज्यस्तरीय फुटबॉल
छतहार से सटे तारापुर के रामस्वारथ कॉलेज मैदान में इन दिनों राज्यस्तरीय शहीद मेमोरियल फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन चल रहा है। टूर्नामेंट का उद्घाटन पिछले बुधवार को टूर्नामेंट कमेटी के संरक्षक सह एसडीओ कौशलेन्द्र कुमार, कमेटी के अध्यक्ष सह डीएसपी मुन्ना प्रसाद, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष शकुनी चौधरी, जिला प्रबंधक राज्य खाद्य निगम विनोद कुमार सिंह, वरीय उपसमाहर्ता अजय कुमार तिवारी, पूर्व भाजपाध्यक्ष कुमार प्रणय सहित आदि ने संयुक्त रूप से किया। अतिथियों ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर और फुटबॉल में किक मार कर किया। इस अवसर पर अतिथियों ने गुब्बारा छोड़े और आसमान में सफेद कबूतर भी उड़ाए। टूर्नामेंच के एक मैच में रविवार को पुरुष वर्ग में तारापुर ने टाई ब्रेकर में लखीसराय को हराया।
दोनों ही टीम ने शानदार पासिंग और मूव से खेल को रोमांचक बना दिया। निर्धारित समय तक दोनों टीमों में से कोई भी गोल नहीं कर सकी। इसके बाद मैच रेफरी सुनील शर्मा ने पंद्रह मिनट का अतिरिक्त समय दिया। लेकिन, अतिरिक्त समय में भी कोई टीम गोल नहीं कर सकी। बाद में मैच का फैसला ट्रायबेकर से करने का निर्णय लिया गया। तारापुर के गोलकीपर गुड्डू कुमार सिंह ने खूबसूरत बचाव कर लखीसराय की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वहीं, तारापुर की ओर से रोहित कुमार सिंह (15 नंबर जर्सी) और भृगुनंदन सिंह (10 नंबर जर्सी) ने गोल कर अपनी टीम को दो-शून्य से जीत दिला दी। तारापुर के गोलकीपर गुड्डू कुमार सिंह को डीएसपी मुन्ना प्रसाद ने शहीद विश्वनाथ सिंह ट्राफी प्रदान की। टूर्नामेंट का आयोजन शहीद विश्वनाथ सिंह की याद में किया जा रहा है। शहीद विश्वनाथ छतहार की ही माटी के वीर थे।
दोनों ही टीम ने शानदार पासिंग और मूव से खेल को रोमांचक बना दिया। निर्धारित समय तक दोनों टीमों में से कोई भी गोल नहीं कर सकी। इसके बाद मैच रेफरी सुनील शर्मा ने पंद्रह मिनट का अतिरिक्त समय दिया। लेकिन, अतिरिक्त समय में भी कोई टीम गोल नहीं कर सकी। बाद में मैच का फैसला ट्रायबेकर से करने का निर्णय लिया गया। तारापुर के गोलकीपर गुड्डू कुमार सिंह ने खूबसूरत बचाव कर लखीसराय की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। वहीं, तारापुर की ओर से रोहित कुमार सिंह (15 नंबर जर्सी) और भृगुनंदन सिंह (10 नंबर जर्सी) ने गोल कर अपनी टीम को दो-शून्य से जीत दिला दी। तारापुर के गोलकीपर गुड्डू कुमार सिंह को डीएसपी मुन्ना प्रसाद ने शहीद विश्वनाथ सिंह ट्राफी प्रदान की। टूर्नामेंट का आयोजन शहीद विश्वनाथ सिंह की याद में किया जा रहा है। शहीद विश्वनाथ छतहार की ही माटी के वीर थे।
Sunday, January 15, 2012
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं
छतहार के समस्त निवासियों और छतहार ब्लॉग के पाठकों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।
मकर संक्रांति पर्व को सूर्य देव की आराधना और अच्छी खेती के लिए भगवान को धन्यवाद देने के पर्व के रूप में देश भर में विभिन्न नामों से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर बढ़ना शुरू करता है। इसे आम लोगों और कृषि प्रधान देश भारत की कृषि के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। राज्य चाहे कोई भी हो, इस पर्व का महत्व सबसे ज्यादा किसानों में होता है।
श्रृंगार रस के कवियों के लिए 'वसंत ऋतु' कविताओं की कल्पना की उड़ान के लिए सबसे सही मौसम होता है। इस ऋतु में नई फसल में फूल और फल आने शुरू होते हैं तो दूसरी ओर फूलों की क्यारियों में तरह-तरह के फूलों की मंत्रमुग्ध करने वाली सुगंध बिखरने लगती है। अतः इस पर्व को वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है।
इस पर्व की पावनता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महाभारत काल में महान योद्धा और प्रतिज्ञा के धनी पितामह भीष्म ने मृत्यु का वरण करने के लिए बाणों की शैय्या पर पड़े-पड़े इंतजार किया था। कृषि से जुड़ा त्योहार होने के कारण कई जगह कृषि यंत्रों की पूजा भी की जाती है। इस दिन गंगा स्नान कर सूर्य की उपासना और गंगाजल से सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।
खास बात यह कि इस दिन से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यानी मकर रेखा के बिलकुल ऊपर होता है। वहाँ से धीरे-धीरे मेष राशि में प्रवेश करने के बाद छह महीने बाद कर्क राशि में प्रवेश करता है। इसी के आधार पर ऋतु परिवर्तन होता है। मकर संक्रांति के दिन से उत्तरायण में दिन का समय बढ़ना और रात्रि का समय घटना शुरू हो जाता है।
कई राज्यों में इस दिन अलग-अलग राज्यों में तिल-गुड़ की गजक, रेवड़ी, लड्डू खाने और उपहार में देने की परंपरा भी है। चावल बाहुल्य वाले बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाकों में इस पर्व को ' खिचड़ी' या 'खिचराईं' के नाम से मनाया जाता है। पूर्वी उत्तरप्रदेश और तमिलनाडु में इस दिन खिचड़ी पकाई और खाई जाती है। कई जगह दाल और चावल दान करने की परंपरा है। जबकि पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कई स्थानों पर बाजरे की खिचड़ी पकाई और खाई जाती है। साभार- वेब दुनिया

श्रृंगार रस के कवियों के लिए 'वसंत ऋतु' कविताओं की कल्पना की उड़ान के लिए सबसे सही मौसम होता है। इस ऋतु में नई फसल में फूल और फल आने शुरू होते हैं तो दूसरी ओर फूलों की क्यारियों में तरह-तरह के फूलों की मंत्रमुग्ध करने वाली सुगंध बिखरने लगती है। अतः इस पर्व को वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है।
इस पर्व की पावनता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महाभारत काल में महान योद्धा और प्रतिज्ञा के धनी पितामह भीष्म ने मृत्यु का वरण करने के लिए बाणों की शैय्या पर पड़े-पड़े इंतजार किया था। कृषि से जुड़ा त्योहार होने के कारण कई जगह कृषि यंत्रों की पूजा भी की जाती है। इस दिन गंगा स्नान कर सूर्य की उपासना और गंगाजल से सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।

कई राज्यों में इस दिन अलग-अलग राज्यों में तिल-गुड़ की गजक, रेवड़ी, लड्डू खाने और उपहार में देने की परंपरा भी है। चावल बाहुल्य वाले बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाकों में इस पर्व को ' खिचड़ी' या 'खिचराईं' के नाम से मनाया जाता है। पूर्वी उत्तरप्रदेश और तमिलनाडु में इस दिन खिचड़ी पकाई और खाई जाती है। कई जगह दाल और चावल दान करने की परंपरा है। जबकि पश्चिमी उत्तरप्रदेश के कई स्थानों पर बाजरे की खिचड़ी पकाई और खाई जाती है। साभार- वेब दुनिया
Saturday, January 7, 2012
नए साल पर दो अच्छी खबर
साल 2012 आप सबके लिए दो अच्छी खबर लेकर आया है। दोनों खबरें रेलवे से संबंधित हैं। भागलपुर-दिल्ली के बीच चलने वाली साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव अब सुल्तानगंज कर दिया गया है। पहले ये ट्रेन सुल्तानगंज में नहीं रुकती थी, जिससे छतहार, तारापुर और इलाके को हजारों लोग इस ट्रेन का उपयोग नहीं कर पाते थे।
दूसरी खबर, गया हावड़ा ट्रेन से संबंधित है। इसमें अब एसी डिब्बा जोड़ दिया गया है।
दूसरी खबर, गया हावड़ा ट्रेन से संबंधित है। इसमें अब एसी डिब्बा जोड़ दिया गया है।
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