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Thursday, October 6, 2011

तेलडीहा में नवरात्र धूमधाम से संपन्न

महानवमी के दिन करीब दस हजार पाठा बलि के साथ ही तेलडीहा में परंपरागत हर्षोल्लास के साथ नवरात्र का समापन हो गया। महानवमी के दिन बुधवार को सुबह साढ़े 11 बजे से ही बलि की शुरुआत हो गई थी और देर रात डेढ़ बजे तक जारी रहा। पहले मेढ़पति और उनके परिवार के लोगों ने पाठा बलि दी, इसके बाद आम लोगों की बारी आई। पिछले साल नवमी पर पाठा बलि के दौरान मची भगदड़ से सबक लेते हुए इस बार मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए थे। बड़ुवा नदी के छोर पर बने राजराजेश्वरी द्वार से मंदिर तक बैरिकेटिंग का इंतजाम किया गया था। बैरिकेटिंग के सहारे लोग पाठा लेकर कतार में मंदिर तक पहुंच रहे थे। तेलडीहा में दर्शन और पाठा बलि के लिए कतार का इंतजाम पहली बार किया गया था और काफी कामयाब भी रहा। छतहार निवासी विनोद ठाकुर के मुताबिक शानदार इंतजाम होने की वजह से पहली बार कोई बच्चा भी अकेले पाठा कटवाकर घर लौट सका। इससे पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी
ये पहला मौका है जब तेलडीहा में गैर किसी झगड़े के पाठा बलि शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। गौरतलब है कि पिछले साल अपना पाठा पहले कटवाने के चक्कर में मंदिर परिसर भगदड़ मच गई थी, जिसमें पांच से ज्यादा श्रद्धालुओं और सैंकड़ों पाठे की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद जिलाधिकारी ने जिले के सभी मंदिरों में पाठा बलि को प्रतिबंधित कर किया था, लेकिन इलाके के लोगों की मांग और सांसद पुतुल कुमारी के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन ने शर्तों के साथ पाठा बलि को मंजूरी दे दी।
इन्हीं शर्तों के तहत तमाम व्यवस्था पर निगरानी के लिए एक समिति बनाई गई। मंदिर प्रशासन से साफ कहा गया कि किसी भी हादसे के लिए वो जिम्मेदार होंगे। साथ ही इलाके के कुछ दबंग बलि के दौरान मनमानी ना करें, इसे रोकने के लिए पुलिस बल की भी तैनाती की गई। शंभूगंज के थानाध्यक्ष बासुकीनाथ झा खुद पूरे इंतजाम की निगरानी कर रहे थे। इसके अलावा छतहार के मुखिया श्री मनोज कुमार मिश्र भी वहां पाठा बलि के दौरान पूरे वक्त मौजूद रहे।
पाठा बलि शांतिपूर्वक संपन्न होने पर जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। छतहार के मुखिया श्री मनोज कुमार मिश्र के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है कि नवमी देर रात तक पाठा बलि संपन्न हो गया, जिसकी वजह से विजयदशमी के दिन श्रद्धालु आराम से तेलडीहा महारानी के दर्शन कर सकेंगे। इससे पहले दशमी के दोपहर तक बलि का कार्यक्रम चलता रहता था, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं के लिए विजयदशमी के दिन मां के दर्शन करना मुश्किल होता था।

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