मित्रों, छतहार के मशहूर गायक श्री मनोज मिश्र और कवयित्री श्री आरती मिश्रा की सुपुत्री सुश्री निभा की कविता ब्लॉग पर पेश करते हुए अति प्रसन्नता हो रही है। आपसे अनुरोध है कि कविता के नीचे अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देकर बाल प्रतिभा को प्रोत्साहित करें।
1
क्यों मार देते हो हमें
क्या किया है हमने पाप
पुण्य बनकर ही आयेंगे
क्यों लेते हो सर पे पाप||
2
हम तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल ही करेंगे
बेटों की तरह नहीं लडेंगे
चाहे हम दो हों या चार
बंटवारे के लिये नहीं लडेंगे||
3
जिस डर से मारते हमें
उस डर को हम हटायेंगे
केवल हमें शिक्षित करो
दहेज प्रथा भी मिटाएंगे ||
4
जिस घर में भी हम जायेंगे
उस घर को स्वर्ग बनायेंगे
ये भी तो सोचो किसी घर का
हम वंश भी बढ़ाएंगे ||
5
हर रिश्ते को निभाएंगे
हर मोड़ पर मुस्कायेंगे
फूल चाहे कांटे मिले राहों में
हम हंस कर चलते जायेंगे||
6
बेटा आखिर आया कहाँ से
किसी की बेटी ने ही तो जन्म दिया
जब बेटियाँ नहीं बचाओगे तो
माँ कहाँ से पाओगे ||
7
अब भी समय है सम्हल जाओ
बरना फिर पछताओगे
मैं फिर कहती हूँ यदि
बेटी नहीं बचाओगे तो माँ कहाँ से पाओगे
माँ कहाँ से पाओगे ||
निभा मिश्रा
छतहार ,जिला- बांका, बिहार
कक्षा - दसवीं
डी.ए.वी.पब्लिक स्कूल,बेगूसराय, बिहार
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