तेलडीहा में जिला प्रशासन ने दुर्गापूजा के दौरान पाठा बलि को सशर्त मंजूरी दे दी है। बांका की सांसद श्रीमती पुतुल सिंह के हस्तक्षेप के बाद गत सोमवार को प्रशासन ने अपना फैसला सुनाया। प्रशासन ने कहा है कि पशु बलि के लिए सभी मंदिरों में पूजा समिति का विधिवत गठन कर इसकी जानकारी प्रशासन को दी जाएगी। इसी समिति की देखरेख में पशु बलि का कार्यक्रम संपन्न होगा। इस दौरान किसी प्रकार की घटना होने पर पूजा समिति के ऊपर भी इसकी जिम्मेवारी होगी। जरूरत पड़ने पर प्रशासन भी पूजा समिति को इसमें सहयोग करेगा।
सोमवार को अनुमंडल पदाधिकारी अमित कुमार ने इसे लेकर पूजा समिति के लोगों के लोगों के साथ बैठक की। उन्होंने बलि पड़ने वाले सभी मंदिरों में
16 अगस्त से पहले पूजा समिति गठित कर लेने को कहा गया। साथ ही बलि के लिए सभी पूजा समिति अपना कार्यकर्ता तैयार करेंगे जिन्हें पशु बलि के दौरान परिचय पत्र भी दिया जाएगा। कार्यकर्ताओं की सूची को स्थानीय थानेदार अंतिम रूप से स्वीकृति प्रदान करेंगे। इसका रिकार्ड पूजा समिति के साथ थाना के पास भी जमा रहेगा। इन शर्त के साथ पशु बलि सभी सार्वजनिक जगहों पर पहले की तरह जारी रहेगा।
बैठक में तेलडीहा मंदिर में दशहरा पर बलि को लेकर विशेष व्यवस्था का निर्णय हुआ, ताकि पिछली साल जैसी घटना किसी कीमत ना हो सके। एसडीओ ने शंभूगंज के सीओ और थानाध्यक्ष को इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। बैठक में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी रमाशंकर राय, शंभूगंज थानाध्यक्ष बासुकीनाथ झा, बांका थानाध्यक्ष अरूण कुमार राय सहित पूजा समिति के मुखिया मनोज कुमार मिश्रा, शंकर दास, विजय कुमार दास, अमूल दास, कमल किशोर दास, सच्चिानंद झा कई पूजा समिति के लोग उपस्थित थे।
गौरतलब है कि पिछले साल दुर्गापूजा में नवमी पूजा में बलि के दौरान भगदड़ में कुछ लोगों की मौत हो गई थी। इसके प्रशासन ने पूरे जिले में बलि पर रोक लगा दी थी। चार अगस्त को नागपंचमी के मौके पर शंभूगंज प्रखंड के हरिवंशपुर विषहरी मंदिर में हर साल की तरह करीब दो सौ पाठा की बलि दी जानी थी। इसके लिए सुबह दूर दराज गांवों से करीब सौ की संख्या में बलि के लिए पाठा लेकर भी भक्त पहुंचे हुए थे। इसकी सूचना पर अंचलाधिकारी इंद्रजीत सिंह व थानाध्यक्ष बासुकीनाथ झा ने पुलिस बलों के साथ वहां पहुंच कर बलि को रोक दिया। अधिकारियों ने उन्हें पूजा पर किसी प्रकार की बाधा नहीं होने देने का आश्वासन दिया। प्रशासन के इस फैसले की खबर पर आसपास गांवों के सैकड़ों लोग वहां जमा हो गये तथा प्रशासन के इस फैसले को तुगलकी करार दिया। बाद में उपस्थित लोगों ने मंदिर में पूजा किये जाने से भी इंकार कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि तांत्रिक विषहरी मंदिर में पिछले चार सौ वर्षो से पूरे क्षेत्र की आस्था जुड़ी हुई है। लोग तब से यहां पशु बलि दे रहे हैं। लेकिन इसे एका एक रोकना सही नहीं है।
(कुछ इनपुट- दैनिक जागरण से)
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Manoj Mishra
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