छतहार पंचाय़त चुनाव का नतीजा आ गया है। शंभूगंज से अभी-अभी खबर मिली है कि वर्तमान मुखिया श्री मनोज मिश्र भारी बहुमत से चुनाव जीत गए हैं। बतौर मुखिय़ा ये उनकी लगातार तीसरी जीत है। श्री मनोज मिश्र ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी विनय खिरहरी को 404 वोटों से मात दी। श्री मिश्र को 1297 वोट मिले, जबकि श्री खिरहरी 893 वोट ही हासिल कर पाए। पंचायत समिति में जीवन सिंह 24 वोट से विजयी रहे। श्री जीवन पंचायत समिति के चुनाव में दूसरी बार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। सरपंच पद पर प्रभाकर मंडल को जीत मिली।
जहा तक श्री मनोज मिश्र का सवाल है, क्षेत्र में उनकी ख्याति एक कर्मठ व्यक्ति के रूप में की जाती है। वो बेहद जुझारू किस्म के इंसान माने जाते हैं, जिनके लिए मुखिया पद का मकसद सिर्फ और सिर्फ पंचायत का विकास और गरीब-पिछड़ों को बुनियादी सुविधा देकर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना है। उन्होंने पहली बार मुखिया पद का चुनाव 2001 में जीता था, जब लंबे अर्से बाद बिहार में पंचायत चुनाव हुआ था।तब उन्होंने मुखिया पद पर लंबे अर्से से कायम श्री नंद किशोर सिंह को मात दी थी। नंद बाबू की ख्याति पंचायत के बड़े स्तंभ के रूप में की जाती थी,लेकिन पंचायत के विकास की लंबे अर्से तक अनदेखी और नए जोश के रूप में श्री मनोज मिश्र के उदय ने छतहार पंचायत में नंद बाबू के दबदबे को खत्म कर दिया।
2001 में मुखिया पद संभालते ही श्री मनोज मिश्र के सामने पहली चुनौती थी पंचायत संस्था में ग्रामीणों का भरोसा वापस दिलाना। उन्होंने सत्ता संभालते ही पंचायत के लिए सरकारी स्तर पर शुरू की गई तमाम योजनाओं को अमली जामा पहनाना शुरू किया। देखते ही देखते गांव में विकास की धारा बहने लगी। टूटी सड़कें पक्की हो गई हैं। मुख्य सड़क से मुहल्लों तक जाने वाली तंग गलियां चौड़ी और ईंट की हो गई। पानी की निकासी के लिए नाले का काम पूरा किया गया। छतहार के गौरव माध्यमिक विद्यालय का कायकल्प किया गया। ना सिर्फ स्कूल में नई इमारतें खड़ी हुईं बल्कि शिक्षकों की मौजूदगी भी सुनिश्चित कराई गई। ये मुखिया जी की मेहनत का ही नतीजा है आज छतहार स्कूल अपना पुराना गौरव वापस सका।
छात्रों की सुविधा के लिए शहीद विश्वनाथ पुस्तकालय को फाइलों से निकालकर जमीन पर लाया गया। आज कोई भी देख सकता है कि किस तरह राय टोली के पास शहीद विश्वनाथ गर्व से सीना ताने खड़ा है।
केंद्र और राज्य सरकार की मदद के शुरू गई मध्यान्ह भोजन योजना को सख्ती से छतहार पंचायत में लागू किया गया। आंगनबाड़ी योजना भले ही दूसरे पंचायतों में मुखिया और पंचायत सदस्यों की कमाई का जरिया बन गयी हो, लेकिन छतहार में ये योजना अभी भी कारगर तरीके से काम कर रही है। कुल मिलाकर महज पांच साल में श्री मनोज मिश्र के नेतृत्व में छतहार में वो हो गया, जिसकी कल्पना आजादी के बाद से 2001 तक किसी ने नहीं की थी। ये काम का ही नतीजा था जब श्री मिश्र 2006 पंचायत चुनाव में खड़े हुए तो भारी बहुमत से वापस जीत कर आए।
दूसरे कार्यकाल में भी उन्होंने छतहार पंचायत में सरकार की कई योजनाएं लागू कीं। राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी योजना नरेगा अगर कहीं अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में काम कर रही है तो वो छतहार पंचायत ही है। गर्भवती महिलाओं, कुपोषित शिशुओं, मेधावी छात्रों तमाम लोगों के लिए जितनी भी सरकारी योजनाएं हैं वो बगैर किसी घोटाले के छतहार पंचायत में काम कर रही हैं। कुल मिलाकर श्री मनोज मिश्र छतहार के विकासपुरुष साबित हुए हैं। तभी तो बगैर किसी धनबल और जातिगत आधार के पंचायत चुनाव में वो जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे। छतहार ब्लॉग की तरफ से श्री मनोज मिश्र जीत की हार्दिक बधाई। हम कामना करते हैं छतहार के विकास में वो निरंतर काम करतके रहेंगे।
जहा तक श्री मनोज मिश्र का सवाल है, क्षेत्र में उनकी ख्याति एक कर्मठ व्यक्ति के रूप में की जाती है। वो बेहद जुझारू किस्म के इंसान माने जाते हैं, जिनके लिए मुखिया पद का मकसद सिर्फ और सिर्फ पंचायत का विकास और गरीब-पिछड़ों को बुनियादी सुविधा देकर उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना है। उन्होंने पहली बार मुखिया पद का चुनाव 2001 में जीता था, जब लंबे अर्से बाद बिहार में पंचायत चुनाव हुआ था।तब उन्होंने मुखिया पद पर लंबे अर्से से कायम श्री नंद किशोर सिंह को मात दी थी। नंद बाबू की ख्याति पंचायत के बड़े स्तंभ के रूप में की जाती थी,लेकिन पंचायत के विकास की लंबे अर्से तक अनदेखी और नए जोश के रूप में श्री मनोज मिश्र के उदय ने छतहार पंचायत में नंद बाबू के दबदबे को खत्म कर दिया।
2001 में मुखिया पद संभालते ही श्री मनोज मिश्र के सामने पहली चुनौती थी पंचायत संस्था में ग्रामीणों का भरोसा वापस दिलाना। उन्होंने सत्ता संभालते ही पंचायत के लिए सरकारी स्तर पर शुरू की गई तमाम योजनाओं को अमली जामा पहनाना शुरू किया। देखते ही देखते गांव में विकास की धारा बहने लगी। टूटी सड़कें पक्की हो गई हैं। मुख्य सड़क से मुहल्लों तक जाने वाली तंग गलियां चौड़ी और ईंट की हो गई। पानी की निकासी के लिए नाले का काम पूरा किया गया। छतहार के गौरव माध्यमिक विद्यालय का कायकल्प किया गया। ना सिर्फ स्कूल में नई इमारतें खड़ी हुईं बल्कि शिक्षकों की मौजूदगी भी सुनिश्चित कराई गई। ये मुखिया जी की मेहनत का ही नतीजा है आज छतहार स्कूल अपना पुराना गौरव वापस सका।
छात्रों की सुविधा के लिए शहीद विश्वनाथ पुस्तकालय को फाइलों से निकालकर जमीन पर लाया गया। आज कोई भी देख सकता है कि किस तरह राय टोली के पास शहीद विश्वनाथ गर्व से सीना ताने खड़ा है।
केंद्र और राज्य सरकार की मदद के शुरू गई मध्यान्ह भोजन योजना को सख्ती से छतहार पंचायत में लागू किया गया। आंगनबाड़ी योजना भले ही दूसरे पंचायतों में मुखिया और पंचायत सदस्यों की कमाई का जरिया बन गयी हो, लेकिन छतहार में ये योजना अभी भी कारगर तरीके से काम कर रही है। कुल मिलाकर महज पांच साल में श्री मनोज मिश्र के नेतृत्व में छतहार में वो हो गया, जिसकी कल्पना आजादी के बाद से 2001 तक किसी ने नहीं की थी। ये काम का ही नतीजा था जब श्री मिश्र 2006 पंचायत चुनाव में खड़े हुए तो भारी बहुमत से वापस जीत कर आए।
दूसरे कार्यकाल में भी उन्होंने छतहार पंचायत में सरकार की कई योजनाएं लागू कीं। राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी योजना नरेगा अगर कहीं अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में काम कर रही है तो वो छतहार पंचायत ही है। गर्भवती महिलाओं, कुपोषित शिशुओं, मेधावी छात्रों तमाम लोगों के लिए जितनी भी सरकारी योजनाएं हैं वो बगैर किसी घोटाले के छतहार पंचायत में काम कर रही हैं। कुल मिलाकर श्री मनोज मिश्र छतहार के विकासपुरुष साबित हुए हैं। तभी तो बगैर किसी धनबल और जातिगत आधार के पंचायत चुनाव में वो जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे। छतहार ब्लॉग की तरफ से श्री मनोज मिश्र जीत की हार्दिक बधाई। हम कामना करते हैं छतहार के विकास में वो निरंतर काम करतके रहेंगे।
MANOJ DA,Congratulations !
ReplyDeleteIshwar Aapko Yash De.
Best Regards
Manoj Mishra
Begusarai
9771493616
jeet ki ye pari nabad kayam rahe. hardik badhaee ho.
ReplyDeleteBahut Bahut Mubarak Monoj Da. You Deserve the Best. Many Congratulations . Murari, Surat
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