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Sunday, May 23, 2010

छतहार में मुक्तिधाम

जीवन के बाद मौत संसार का सच है। जो आया है उसे एक ना एक दिन जाना होगा। सृष्टि के इस चक्र को कोई नहीं बदल सकता। लेकिन, मौत के बाद क्या? क्या कोई स्वर्ग या नरक है? मरने के बाद कहां जाता है इंसान? ये कोई नहीं जानता, फिर भी इंसान इस कोशिश में लगा रहता है कि मरने के बाद भी उसके बंधु-बांधवों को कोई परेशानी ना हो। इंसानी देह त्यागने के भी उनके अपने शांति से रहे। इसी मकसद के लिए मृत्यु के बाद कई कर्मकांड किए जाते हैं। दशकर्म, श्राद्ध, आदि आदि।
छतहार में सालों में बड़ुआ नदी के किनारे लोग इस कर्मकांड को करते आए हैं। चाहे जेठ की दुपहरी हो या सावन-भादो की बारिश। कभी ये कर्मकांड नहीं रुका क्योंकि जाने वाला कभी कहकर नहीं जाता। सालों से ये जरुरत महसूस की जा रही थी बड़ुआ नदी के किनारे ऐसी छाया हो जिसके नीचे लोग इन कर्मकांडों को निभा सकें। चूंकि बरगद और पीपल के जो पेड़ पहले छाया देते थे, वो बाढ़ की भेंट चढ़ गए, इसलिए सिर के ऊपर छाये की जरुरत शिद्दत से महसूस की जा रही थी। लोगों के इसी कष्ट को दूर करने के लिए छतहारवासी समाजसेवी श्री शारदा चंद्रमोहन सिंह (चांदबाबू) सामने आए। उन्होंने अपने पैसे से बड़ुवा नदी के किनारे राजेंद्र राजेश्वरी मुक्तिधाम बनवाया है। १५ मार्च को इसका पूरे धार्मिक रीति-रिवाज से उद्घाटन हुआ। मुखियाजी श्रीमनोज कुमार मिश्र ने चंद तस्वीरें भेजी हैं। आप भी देखिये।
चांद बाबू, जिनकी कोशिशों से ये संभव हो सका। छतहार को आप पर नाज है।
मुक्तिधाम के उद्घाटन के बाद आयोजित भगवत सुनने पहुंचीं महिलाएं।
राजेंद्र राजेश्वरी मुक्ति धाम में १७-२३ मार्च को आयोजित भगवत कथा में उमड़ी श्रद्धालुओं की
भगवत कथा सुनातीं मशहूर कथावाचिका मानस सुमन।
भगवत कथा सुनातीं मशहूर कथावाचिका मानस सुमन।
राजेंद्र राजेश्वरी मुक्ति धाम की तस्वीरें।

1 comment:

  1. Mukhiya jee se mera anurodh hai ki Is tarah ka fir koi aayojan arrange karen to mujhe bhi ek message dene ka prayas karenge.main bhi attand karne ki koshish karunga.


    Thanks and Regards
    Manoj Mishra
    Honeywell
    Begusarai
    9934193963

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