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Wednesday, September 28, 2011

धूमधाम से शुरू हुआ नवरात्र

शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र धूमधाम से शुरू हो गया। पहले दिन देवी के शैलपूत्री रूप की पूजा की गई। पूरे गांव में सुबह से ही पूजा की सरगर्मी शुरू हो गई थी। पूजा के लिए फूल और बेल पत्र इकट्ठा करने के लिए तड़के ही लोग घरों से निकल पड़े थे। इसके लिए बच्चों और युवकों में खास उत्साह था। घरों से निकल रहे दुर्गा सप्तशती के पाठ स्वर और शंख ध्वनि से पूरे इलाके का माहौल धार्मिक बन गया। गांव के पंडितों के लिए खासतौर पर ये व्यस्त दिन रहा। पूरे नौ दिन उन्हें अलग-अलग घरों में चंडी पाठ करना होगा। 
उधर, तेलडीहा में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। मां के भक्त सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर वहां पहुंच रहे थे। भक्त सुल्तानगंज से करीब बीस किलोमीटर की यात्रा पैदल तय कर तेलडीहा पहुंचे। यहां जल धारने के बाद ही भक्तों ने अपने घरों की तरफ रुख किया। बहरहाल, नवरात्र का ये पहला ही दिन था, आने वाले दिनों में तेलडीहा में भारी भीड़ जुटने का अनुमान है। खासतौर पर अष्टमी, नवमी और दशमी के रोज तो यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु जमा होते हैं।

Tuesday, September 27, 2011

नवरात्र के लिए तैयार है तेलडीहा

कल से नवरात्र शुरू हो रहा है और तेलडीहा दुर्गा मंदिर साल के सबसे बड़े मेले के आयोजन के लिए तैयार है। पिछली बार नवमी के दिन मची भगदड़ से सबक लेगे हुए इस बार व्यापक इंतजाम किए गए हैं ताकि फिर कोई अनहोनी ना हो सके। मां के दर्शन और बलि के लिए मंदिर परिसर में मचने वाली आपाधापी से बचने के लिए इस बार पंक्ति की व्यवस्था होगी। इसके लिए बकायदा बैरिकेटिंग लगाई जा रही है। चाहे आम हो या खास देवी के दर्शन के लिए सबको लाइन में लगना होगा। इससे पहले दर्शन में मंदिर प्रबंधन की मनमानी चलती थी। वो जिसे चाहते पिछले दरवाजे से मंदिर में प्रवेश करा देते थे। इस बार वीआईपी और वीवीआईपी को भी लाइन से ही मंदिर तक पहुंचना होगा, हालांकि दर्शन में सहूलियत हो इसके लिए एक कट प्वाइंट बनाया जाएगा जहां से वो सीधे मंदिर में प्रवेश कर पाएंगे। मंदिर के आसपास इस बार किसी को भी दुकान लगाने की अनुमति नहीं होगी ताकि भीड़ की वजह से कंजेशन ना हो। यही नहीं, आसपास की सड़कों को भी तीस फीट चौड़ा कर दिया गया है।
जहां तक बलि की बात है तो इस बार पहले आओ पहले बलि दिलवाओ का फॉर्मूला अपनाया गया है। यानी, किसी गांव या व्यक्ति को बलि में प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। लाइन के जरिये जिसकी बारी आएगा उसका पाठा कटेगा। अष्टमी के दिन पहले मेढ़पति के परिवार के लोग बलि देंगे इसके बाद आम लोगों की बारी आएगी। इसी तरह नवमी के दिन दोपहर एक बजे तक मेढ़पति के घरवाले बलि देंगे और फिर आम लोगों की बारी होगी।
व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा। व्यवस्था बनाए रखने में प्रशासन के लोग भी रहेंगे लेकिन किसी भी हादसे के लिए मंदिर प्रबंधन समिति कसूरवार ठहराया जाएगा। अबकी मंदिर परिसर में एंबुलेंस के साथ अग्निशमन वाहन भी मौजूद रहेंगे। इतना ही नहीं आपात चिकित्सा का भी पूरा इंतजाम होगा वहां। सीसीटीवी कैमरे से मंदिर परिसर की निगरानी की जाएगी। आम श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना का ख्याल रखते हुए गुलनीकुशहा निवासी रमन सिंह ने मंदिर परिसर के बाहर चबूतरा का निर्माण कराया है। उस चबूतरे पर स्थानीय पंडित पाठ करेंगे। कोई श्रद्धालु अगर खास पूजा करना चाहे तो उसके लिए यहां इंतजाम होगा।
तेलडीहा में श्रद्धालुओं की भीड़ पहली पूजा के दिन ही शुरू हो जाएगी। पहली पूजा को मां भगवती का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा। श्रद्धालु सुल्तानगंज स्थित पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा से जलभरकर करीब बीस किलोमीटर की पदयात्रा कर तेलडीहा दुर्गा मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक करेंगे।
चूंकि नवरात्र में तेलडीहा में हर रोज हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं इसलिए ये तय है कि दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में कतार में लगे श्रद्धालुओं के लिए पानी, चाय, शरबत का भी इंतजाम किया किया है।
इस बीच, 30 सितंबर को तीन पूजा के दिन भजन का कार्यक्रम रखा गया है। स्थानीय भजन सम्राट सुनील मिश्र देवी और उनकी मंडली भजन गाएगी। भजन संध्या का उद्घाटन स्थानीय सांसद पुतुल कुमारी करेंगी।

माता दुर्गा की आरती

मैया की लाली चुनरिया देखो जी बड सुहावन लागे जी
मांग में मैया के टीका सोहे
टीका में लरिया निराली देखो जी बड सुहावन लागे जी
माथे में मैया के विन्दिया सोहे
विन्दिया में हीरा प्यारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
कानों में मैया के झुमका सोहे
झुमका में मीना धारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
गले में मैया जी के सिकरी सोहे
सिकरी में लाकेट प्यारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
हाथों में मैया जी के कंगन सोहे
कंगन में खिलिया प्यारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
पैरों में मैया के पैजनी सोहे
पैजनी छम्मकदारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
मैया की साड़ी करे जगमग जगमग
की है शेर सवारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
माता दुर्गा जगत महारानी
तीनों लोक में नहीं इनकी सानी
शिव शिव भवानी मृडानी रुद्रानी
दुर्गति नाशिनी अम्बे देखो जी बड सुहावन लागे जी
महिषासुर मधुकैटभ मारे
सुर नर मुनि को भय से उवारे
जय जय करे दुनियां सारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
"
आरती " वंदना करूँ भक्त संग मिल
लेहो अब मोहे उवारी देखो जी बड सुहावन लागे जी
गीत- आरती मिश्र
संगीत- मनोज मिश्र
ताल- दादरा

Tuesday, September 20, 2011

आरती मिश्र के भक्ति गीत


उदीयमान गीतकार श्रीमती आरती मिश्रा
मित्रों, छतहार के मशहूर गीतकार श्री मनोज मिश्र की धर्मपत्नी श्रीमती आरती मिश्र द्वारा रचित दो भक्ति गीतों को ब्लॉग पर पेश करते हुए अति प्रसन्नता हो रही है। श्रीमती आरती मिश्र बिहार की उदीयमान गीतकारों में शुमार हैं। छतहार ब्लॉ़ग की तरफ से उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं। पेश हैं श्री आरती मिश्र के दो भक्ति गीत। पहला गीत गणपति जी की वंदना है और दूसरा भगवान कृष्ण पर है।
आये गणपति द्वारे हर्षाए सखिया
हर्षाए सखिया मंगल गए सखिया
आये गणपति द्वारे हर्षाए सखिया
माता गौरी के गोद बिराजे
देवगन फूल वर्षाये सखिया , आये ---
गौरी नंदन शिव के दुलारे

चन्दन पलना माता झुलाए
देख देख मन हर्षाए सखिया , आये ---
माथे मुकुट मूषक पे बिराजे

मोदक थाल मन भाए सखिया ,आये ----
जो यह गणपति मंगल गाये

रिद्धी- सिद्दि धन पाए सखिया ,आये ----
" आरती " गाये सखी संग मिली जुली
सकल मनोरथ पाए सखिया ,आये ----

गीत - आरती मिश्र
संगीत - मनोज मिश्र

कृष्ण गीत

बंसिया बजाये कान्हा झूमे गलिया
झूमे लागल राधा रानी संग झूमे सखिया
गौवा भी झुमए, बछड़ा भी झुमये
झूमे लागल ब्रिन्दावन के कुञ्ज गलिया
ए जी झूमे लागल ब्रिन्दावन के कुञ्ज गलिया

झूमे लागल राधा रानी संग झूमे सखिया
मैया यशोदा झूमे नन्द बाबा झुमए
झूमे लागल हाथ मथुनिया दहिया
झूमे लागल राधा रानी संग झूमे सखिया इ
रुकुमिनी झुमए ,ललिता भी झुमये
झूमे लागल सखिया कदम के डलिया
झूमे लागल राधा रानी संग झूमे सखिया

गोकुल भी झुमए ,मथुरा झुमये
झूमे लागल यमुना लहर सखिया
"
आरती " झुमए ,भक्त जन झुमए
नख पर गिरि धरि झूमे कन्हैया
झूमे लागल राधा रानी संग झूमे सखिया
गीत - आरती मिश्र
संगीत एवं स्वर - मनोज मिश्र
ताल - कहरवा

Sunday, September 18, 2011

भूकंप के झटकों से हिला छतहार

आज शाम छह बजकर ग्यारह मिनट पर भूकंप के तेज झटकों से छतहार और आसपास के इलाके दहल उठे। गांववासी रोजमर्रा के कामों से निपटकर घर लौटे ही थे कि अचानक भूकंप का तेज झटका आया। छतहार के मुखिया श्री मनोज कुमार मिश्र के मुताबिक झटका इतना तेज था कि घर के दरवाजे और खिड़कियां हिलने लगीं। श्री मिश्र के मुताबिक भूकंप को गांव और इलाके के तकरीबन अधिकांश लोगों ने महसूस किया। भूकंप महसूस होते ही लोग घरों से निकल गए। लोगों की जेहन में लगभग 23 साल पहले 1988 में आए विनाशकारी जलजले की याद ताजा हो गई। 21 अगस्त 1988 को 6.6 तीव्रता के उस भूकंप में हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। तब भूकंप का केंद्र भारत-नेपाल सीमा का इलाका था।
इस बार भूकंप का केंद्र सिक्किम से 64 किलोमीटर दूर का इलाका बताया गया है। भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई है। बहरहाल, छतहार और आसपास के इलाकों से किसी नुकसान की खबर नहीं है। गौरतलब है कि बिहार में मुंगेर जिला भूकंप के लिहाज से अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में गिना जाता है। छतहार मुंगेर जिले से बिल्कुल सटा हुआ है। 1934 और 1988 के भूकंपों में मुंगेर जिले में भारी तबाही हुई थी।