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Monday, March 29, 2010

छतहार के होली गीत 12


सुमिरों सरोसती हरे-हरे
सुमिरों सरोसती हरे-हरे
हरि गुण गाए,गोविंद गुण गाए
सुमिरों सरोसती हरे-हरे
पहले सुमिरों मात-पिता को
पहले सुमिरों मात न रे
जिसने जनम दियो हैं आज
हरि गुण गाए, गोविंद गुण गाए
सुमिरों सरोसति हरे-हरे
दूजे सुमिरों धरति मात
दूजे सुमिरों धरति न रे
जिन पर धरे हैं आज
हरि गुण गाए,गोविंद गुण गाए
सुमिरों सरोसति हरे-हरे
तीसरे सुमिरों गुरू अपने को
तीसरे सुमिरों गुरू न रे
जिसने ज्ञान दियो हैं आज
हरि गुण गाए,गोविंद गुण गाए
सुमिरों सरोसती हरे-हरे
सौजन्य- श्री विजय कुमार मिश्र

छतहार के होली गीत-11

तुम क्यों दहलानि नार,लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं हो
मेरो जैसो राजा नहीं हो,मेरो जैसो राजा नहीं
उठे समुद्र हिलोड़,लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं
तुम क्यो दहलानि नार,लंकगढ़ को लेवइया नाहीं
कुंभकरण जैसो भाई जैखे,कुंभकरण जैसो भाई न हो
अति बलवंत कहाए,लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं हो
तुम क्यों दहलानि नार लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं हो
मेघनाद सा बेटा जाखे,मेघनाद सा बेटा न हो
इंद्रजीत कहलाए लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं हो
तुम क्यों दहलानि नार लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं हो
मेरो जैसो योद्धा नहीं हो,मेरो जैसो योद्धा नहीं
बीस भुजा दस शीश लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं हो
तुम क्यों दहलानि नार लंकगढ़ कोई लेवइया नाहीं हो
सौजन्य- श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत 10

द्रौपदी नारी को भंग करण को कीचक राजा आए
कीचक राजा आए हो,कीचक राजा आए
द्रौपदी नारी को भंग करण को कीचक राजा आए
द्रौपदी नारी विनती किन्ही
द्रौपदी नारी विनती न हो
धर्म भ्रष्ट न करो हो
धर्म भ्रष्ट न करो
द्रौपदी नारी को भंग करण को कीचक राजा आए
साड़ी पकड़ के कोची खींचे
साड़ी पकड़ के कोची न रे
बांह पकड़ झकझोरे जो
बांह पकड़ झकझोरे
द्रौपदी नारी को भंग करण को कीचक राजा आए
हालत भीम को कहे सुनाई
हालत भीम को कहे न हो
भीम गए रिसीयाई जो
भीम गए रिसीयाई
द्रौपदी नारी को भंग करण को कीचक राजा आए
भीम ही रूप धरे नारी के
भीम ही रूप धरे न हो
पाकशाला में जाए न जो
पाकशाला में जाए
द्रौपदी नारी को भंग करण को कीचक राजा आए
मल्ल युद्ध जब होवन लागे
मल्ल युद्ध जब होवन न हो
कीचक मार गिराए जो
कीचक मार गिराए
द्रौपदी नारी को भंग करण को कीचक राजा आए
सौजन्य- श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत 9

दुर्योधन पासा डाल जादिन भूमि पांडवा हार गए
भूमि पांडवा हार गए रे
भूमि पांडवा हार गए
दुर्योधन पासा डाल जादिन भूमि पांडवा हार गए
केवट हारे बावली हारे
केवट हारे बावली हारे ना हो
हारे सरोवर सारी जादिन भूमि पांडवा हार गए
भूमि पांडवा हार गए रे
अपने रैन के घोड़ा हारे
अपने रैन के घोड़ा ना हो
हारे द्रोपदी नारे जादिन भूमि पांडवा हार गए
भूमि पांडवा हार गए रे
दिर्योधन पासा डाल जादिन भूमि पांडवा हार गए
हारे पांडवा भाग चले
हारे पांडवा भाग चले
जाए बसे विराट जादिन भूमि पांडवा हार गए
दुर्योधन पासा डाल जादिन भूमि पांडवा हार गए
सौजन्य-श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत-8

शकुनि दुर्योधन भीम पसावा खेले
पसावा खेले हो पसावा खेले
शकुनि दुर्योधन भीम पसावा खेले
कथि के पासा बने हो
कथि के पासा ना रे
कथि के गोटी लाल पसावा खेले
शकुनि दुर्योधन भीम पसावा खेले
चंदन के पासा बने
चंदन के पासा ना रे
सोने गोली लाल पसावा खेले
शकुनि दुर्योधन भीम पसावा खेले
कौन पासा फेंक दिए हो
कौन पासा फेंके ना हो
कौन लिए उठाए पासावा खेले
शकुनि दुर्योधन भीम पासावा खेले
शकुनि पासा फेंक दिए हो
शकुनि पासा फेंक दिए
दुर्योधन लिए उठाए पासावा खेले
शकुनि दुर्योधन भीम पासावा खेले
सौजन्य-श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत 7

बरसा ऋतु आ गए रे आली
श्यामसुंदर घर नहीं आए
आई आषाढ़ घटा घन घेरे
सावन बूंद पड़ो
भादो के बूंद सहा ना जाए
आसिन आस लगे रे आलो
श्यामसुंदर घर नहीं आए
बरसा ऋतु आ गए रे आली
कातिक केता घर नहीं आए
अगहन धान कटे
पूष के जाड़ा सहा ना जाए
माघ में पाला पड़े
श्यामसुंदर घर नहीं आए
बरसा ऋतु आ गए रे आली
फागुन फाग पिया संग खेलूं
चैत खेलूं बल जोड़ी से
बैशाख धूप सहा ना जाए
जेठ में धाम चले
श्यामसुंदर घर नहीं आए
बरसा ऋतु आ गए रे आली
सौजन्य- श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत 6

श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
कातिक बीते अगहन बीते
बीते पूष महीना
माघ मास बालम नहीं आए
फागुन मस्त महीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
जैसे अन्न बिन प्राण दुखित भयो
वैसे जल बिन जीना
छोटे बालम देखी नार दुखित भये
गिन गिन कटे महीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
गंगा नहाए सूरज गोर लागे
ठाकुर पूजा किन्हां
किए बिगाड़े रामचंद्र के
छोटे बालम मोहे लिन्हा
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
करी श्रृंगार पलंग चढ़ी बैठी
रोम रोम रस लिन्हां
चोलिया के बंद फड़कन लागे
छूटे घाम पसीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
मत तुम सोचे नारी अभागन
मत कर मुख मलीना
छोटे से बड़े हो जइहैं
सुंदर श्याम नगीना
श्यामन रे श्याम बजाए बीना श्यामन रे
सौजन्य-श्री लखन सिंह

छतहार के होली गीत 5

भौंरा भौंरा भौंरा रे
कजली बिन बालम भौंरा रे
भौंरा भौंरा भौंरा रे
किन कर बेटी सीता सुंदरी
किन कर बेटी सीता ना रे
किन कर बेटी गौरा ना रे
कजली बिन बालम भौंरा रे
भौंरा भौंरा भौंरा रे
राजा जनक जी के सीता सुंदरी
राजा हिमाचल गौरा रे
कजली बिन बालम भौंरा रे
भौंरा भौंरा भौंरा रे
किनका ब्य़ाहों सीता सुंदरी
किनका ब्याहों सीता ना रे
किनका ब्हायों गौरा ना रे
कजली बिन बालम भौंरा रे
भौंरा भौंरा भौंरा रे
रामजी के ब्याहों सीता सुंदरी
शिवजी के ब्याहों गौरा रे
कजली बिन बालम भौंरा रे
भौंरा भौंरा भौंरा रे
सौजन्य- श्री लखन सिंह

Sunday, March 28, 2010

छतहार के होली गीत 4

दशरथ के सुत चार भये हो
दशरथ के सुत चार भये
आज महामंगल कौशलपुर
दशरथ के सुत चार भये
कौन रानी के भरत-शत्रुघ्न
कौन रानी के राम भये
आज महामंगल कौशलपुर
दशरथ के सुत चार भये
कैकई रानी के भरत शत्रुघ्न
कौशल्या रानी के राम भये
आज महामंगल कौशलपुर
दशरथ के सुत चार भये
कौन कुंवर को राजतिलक
कौन कुंवर वनवास गए
आज महामंगल कौशलपुर
दशरथ के सुत चार भये
भरत कुंवर को राजतिलक
रामकुंवर वनवास गए
आज महामंगल कौशलपुर
दशरथ के सुत चार भये

सौजन्य- श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत 3

शिव गंगा गोहराए जो
शिव गंगा गोहराए
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
कौन लाए गंगा जमुना
कौन लाए गंगा ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
कौन लाए त्रिवेणी जो
कौन लाए त्रिवेणी ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
भागीरथ लाए गंगा जमुना
भागीरथ लाए गंगा ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
गंगा लाए त्रिवेणी जो
गंगा लाए त्रिवेणी ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
काहे करण को गंगा जमुना
काहे करण को गंगा ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
काहे करण को त्रिवेणी जो
काहे करण को त्रिवेणी ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
पाप करण का गंगा जमुना
पाप भरन को गंगा ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए
धर्म करण को त्रिवेणी जो
धर्म करण को त्रिवेणी ना रे
महादेव के जटा के ऊपर शिव गंगा गोहराए

सौजन्य- श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत 2

आए आए देव के द्वार दर्शन करने को
हम सब दर्शन करने को
हम सब दर्शन करने को
कोई नहीं पाए पार
कोई नहीं पाए पार दर्शन करने को
आए आए देव के द्वार दर्शन करने को
सुर नर मुनि सब चकित भये
हो सुर नर मुनि सब चकित भये
कोई नहीं पाए पार दर्शन करने को
आए आए देव के द्वार दर्शन करने को
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता
महिमा अगम अपार दर्शन करने को
आए आए देव के द्वार दर्शन करने
को

सौजन्य- श्री लखन चौधरी

छतहार के होली गीत

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कुंभकर्ण लिखे रावणा लिखे
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सौजन्य- श्री लखन चौधरी